कभी कभी अचानक ही ऐसी बात हो जाती है, जो सोच से परे है. ऐसी ही एक पुरानी घटना का जिक्र पुनीत के एक दोस्त राजेश ने किया.
राजेश तकरीबन 40 साल बाद पुनीत से मिला था. उन दिनों वह एक जहाज में अफसर था और जहाज के साथ भारत से बाहर जाया करता था. जहाज भारत से निर्यात होने वाली चीजें विदेश ले जाता और वापसी में आयात होने वाली चीजें लाता था.
राजेश कालेज से निकल कर जहाज पर नयानया ट्रेनिंग अफसर लगा था. उस का जहाज मुंबई से आस्ट्रेलिया जाता था और रास्ते में मद्रास (अब चेन्नई), कोचीन (अब कोच्चि), सिंगापुर, मलयेशिया, श्रीलंका से भी सामान लाद लेता था, फिर आस्ट्रेलिया के अलगअलग बंदरगाहों से होता हुआ भारत आता था.
राजेश शाकाहारी था और सिगरेट या शराब भी नहीं छूता था. सागर की लहरों पर जबरदस्त उछाल, जिसे रोलिंग व पिचिंग कहते हैं, के चलते उसे वहां के माहौल में ढलने में कुछ हफ्ते लगे. जहाज पर दूसरी सु़विधाओं के साथ अफसरों को केबिन भी दिया जाता था.
राजेश का जहाज श्रीलंका, सिंगापुर, मलयेशिया होता हुआ आस्ट्रेलिया के पश्चिमी पोर्ट (बंदरगाह) फ्रीमैंटल यानी पर्थ पहुंचा.
राजेश सिंगापुर, मलयेशिया या श्रीलंका से बिलकुल प्रभावित नहीं था, क्योंकि उन दिनों वे विकसित नहीं थे, पर आस्ट्रेलिया का एक खास आकर्षण उस के मन में शुरू से था और पर्थ शहर तो उसे बड़ा शानदार लगा था. वहां पहली बार वह अपने दोस्तों के साथ नाइट क्लब में गया था. गोरीगोरी सुंदरियों के साथ उस ने 2-4 डांस स्टैप किए थे. वैसे, शुरू में उसे काफी हिचक हुई थी.
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