कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

लेखक- प्रीतम सिंह

नीतू स्कूल के समय से ही स्कैच बनाया करती. पढ़ाई पूरी करने के बाद जौब भी उसे इसी तरह की मिल गई और उस का स्कैच बनाने का सपना साकार हो गया. पर क्या असल जिंदगी में भी उस का सपना सच हो पाया?

सुबह 6 बजे का अलार्म पूरी ईमानदारी से बज कर बंद हो गया. वह एक सपने या थकान पर कोई असर नहीं छोड़ पाया. ठंडी हवाएं चल रही हैं. पक्षी अपने भोजन की तलाश में निकल पड़े हैं.

तभी मां नीतू के कमरे में घुसते ही बोलीं, ‘‘इसे देखो, 7 बजने को हैं और अभी तक सो रही है. रात को तो बड़ीबड़ी बातें करती है, अलार्म लगा कर सोती हूं. कल तो जल्दी उठ जाऊंगी, मगर रोज सुबह इस की बातें यों ही धरी रह जाती हैं.’’ मां बड़बड़ाए जा रही थीं.

अचानक ही मां की नजर नीतू के चेहरे पर पड़ी, यह भी क्या करे, सुबह 9 बजे निकलने के बाद औफिस से आतेआते शाम के 8 बज जाते हैं. कितना काम करती है. एक पल मां ने यह सब सोचा, फिर नीतू को जगाने लगीं.

ये भी पढ़ें- सच्चा रिश्ता: साहिल ने कैसे दिखाई हिम्मत

‘‘नीतू, ओ नीतू, उठ जा. औफिस नहीं जाना क्या तुझे?’’

‘‘‘हुं… सोने दो न मां,’’ नीतू ने करवट बदलते हुए कहा.

‘‘अरे नीतू बेटा, उठ ना… देख 7 बज चुके हैं,’’ मां ने फिर से उठाने का प्रयास किया.

‘‘क्या…7 बज गए?’’ यह कहती

वह जल्दी से उठी और आश्चर्य से पूछने लगी, ‘‘उस ने तो सुबह 6 बजे का अलार्म लगाया था?’’

‘‘अब यह सब छोड़ और जा, जा कर तैयार हो ले,’’ मां ने नीतू का बिस्तर समेटते हुए जवाब दिया.

नीतू को आज भी औफिस पहुंचने में देर हो गई थी. सब की नजरों से बच कर वह अपनी डैस्क पर जा पहुंची. मगर रीता ने उसे देख ही लिया. 5 मिनट बाद वह उस के सामने आ धमकी. कहानियों से भरे पत्र उस की डैस्क पर पटक कर कहने लगी, ‘‘ये ले, इन 5 लैटर्स के स्कैच बनाने हैं आज तुझे लंच तक. मैम ने मुझ से कहा था कि मैं तुझे बता दूं.’’

ये भी पढ़ें- उड़ान: क्या था जाहिदा का फैसला

‘‘पर यार, आधे दिन में 5 स्कैच कैसे कंप्लीट कर पाऊंगी मैं?’’

‘‘यह तेरी सिरदर्दी है. इस में मैं क्या कर सकती हूं. और, वैसे भी मैम का हुक्म है,’’ कह कर रीता अपनी डैस्क पर चली गई.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...