उस दिन सुबहसुबह अपनी पत्नी की कोयल जैसी आवाज सुन कर मैं चौंक गया कि हर पल शेरनी जैसी दहाड़ने वाली मेरी श्रीमतीजी में यह कायापलट कैसे हो गया?

वे प्यार भरी आवाज में बोलीं, ‘‘अजी उठिए और गरमागरम चाय पीजिए.’’

मेरी आंखों को विश्वास ही नहीं हुआ कि ये मेरी ही धर्मपत्नी हैं.

मैं ने डरतेडरते पूछ ही लिया, ‘‘प्रिय, क्या तुम सचमुच मेरी पत्नी ही हो या मैं कोई सपना देख रहा हूं?’’

‘‘हांहां, मैं तुम्हारी ही धर्मपत्नी हूं. चलिए, जल्दी से चाय पी कर फारिग हो जाइए और घर के सारे काम निबटा दीजिए,’’ मेरी ‘स्वीटहार्ट’ मेरे गले में अपनी बांहें डालते हुए बोलीं.

मैं ने किसी अच्छे आज्ञाकारी कुत्ते की तरह अपनी दुम हिलाते हुए कहा, ‘‘ओके डार्लिंग, जब तुम आज हम पर इतनी मेहरबान हो, तो समझो कि घर का सारा काम भी हो ही गया.’’

मेरी महबूबा जोरजोर से हंसते हुए बोलीं, ‘‘यह हुई न मर्दों वाली बात.’’

हमारी सारी पड़ोसनें भी इसलिए तो जलीभुनी रहती हैं कि उन के ‘मर्द’ घर के किसी काम में हाथ नहीं डालते हैं, जबकि मैं हर रोज पत्नी के काम में हाथ बंटाता रहता हूं.

इस के बाद मेरी अप्सरा जैसी पत्नी ने किसी जासूस की तरह राज उगलते हुए कहा, ‘‘आज से मैं अपने महल्ले में ‘स्वच्छता अभियान’ की शुरुआत करूंगी, क्योंकि गलीगली में शोर है कि ‘स्वच्छ भारत’ बनाने के लिए साफसफाई अभियान रफ्तार पकड़ रहा है.’’

मैं ने अपनी समझदार बीवी का आइडिया सुना, तो हैरान रह गया. जिस औरत को टैलीविजन देखने, क्लब जाने का चसका लगा हो, उस के लिए अपने घर को साफसुथरा रखना बहुत मुश्किल काम है.

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