रेशमा की बात सुन कर विजय सिंह अजमंजस में पड़ गए. वह तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या जवाब दें रेशमा को. वह तो मन से उन्हें पति मान चुकी है. मृगनयनी रेशमा की सुंदरता पर वह भी मर मिटे थे. ऐसी सुंदरी उन्होंने अब तक नहीं देखी थी.
ठाकुर सा चकित थे, इस छोटे से गांव शाहगढ़ में इतनी सुंदर लड़की. वह भी सब से अलग. इस में कुछ तो है. यह मुसलमान और मैं राजपूत ठाकुर. धर्म की दीवार आड़े आ रही थी. इस कारण ठाकुर सा ने अगली सुबह तक जवाब देने को कहा और विदा ले कर जानी डेरे पर आ गए.
विजय सिंह के जानी डेरे लौटते ही रेशमा की सहेलियां रेशमा के पास आ गईं. वह उदास सी थी. सोच रही थी कि अगर विजय सिंह ने उस का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया तो वह कैसे जिएगी उन के बिना.
रेशमा की यह हालत उस की सहेलियों ने देखी तो धापू बोली, ‘‘रेशमा तुम्हारा हंसता चेहरा ही अच्छा लगता है. तुम्हारे चेहरे पर यह उदासी अच्छी नहीं लगती. भरोसा रखो. सब ठीक ही होगा.’’
‘‘धापू, तुम्हें बता नहीं सकती दिल खोल कर कि मैं आज एक पहर में ही कैसे ठाकुरसा के प्यार में पगला गई. अगर ठाकुर सा ने प्यार स्वीकार न किया तो कल इस समय तक मैं शायद जिंदा नहीं रहूंगी. मैं उन से इतनी मोहब्बत करने लगी हूं कि शायद किसी ने कभी किसी से नहीं की होगी?’’
रेशमा ने दिल की बात कही. तब धापू और अगर सहेलियों ने रेशमा को दिलासा दी कि सब ठीक होगा. उसे उस का सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस के बाद सहेलियां रेशमा को दिलासा देती हुई शादी वाले घर ले गईं.
दूल्हे मोहनसिंह की शादी दरियाकंवर से हो गई. चंवरी में खूब चांदी के सिक्के और सोने की मोहरें उछाली गईं. शादी धूमधाम से संपन्न हो गई. दरियाकंवर को प्रियतम के रूप में मोहन मिल गया. वह खुशी से फूली नहीं समा रही थी. वहीं रेशमा बीतती हर घड़ी के साथ उदास होती जा रही थी. उसे यह सवाल परेशान कर रहा था कि ठाकुर सा विजय सिंह उसे क्या जवाब देंगे. अगर ठाकुर सा ने उस का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया तो… रेशमा सारी रात इसी उधेड़बुन में रही.
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सुबह का सूरज निकला. रेशमा नहाधो कर तैयार हुई. नहाने के बाद रेशमा का रूप सौंदर्य निखर उठा. वह ताजे गुलाब सा खिल रही थी. सब लोग बारात की विदाई में जुट गए. उधर विजय सिंह ने अपने कुछ खास ठाकुरों से रेशमा के प्रेम प्रस्ताव के बारे में बात की.
विजय सिंह ने उन्हें बताया कि वह बहुत सुंदर हैं. उस की सुंदरता पर मैं भी मर मिटा हूं. मगर दोनों के मिलन में बांधा है दोनों का धर्म. वह मुसलिम है.
विजय सिंह को ठाकुरों ने कहा कि प्यार करने वाले जा%E