Hindi Story : पूरे महल्ले में यही सुगबुगाहट थी कि करीम की बेटी खुशबू का निकाह है, वह भी उस की बाप की उम्र के हमीदुल्ला मास्टर के साथ.

जब खुशबू को यह बात पता चली थी कि उस की शादी एक 50 साल के बूढ़े के साथ तय हो गई है, उस दिन वह पूरी रात रोई थी, लेकिन उस के बाद वह खामोश ही रही. वह सम झ चुकी थी कि बूढ़ा शौहर ही उस का नसीब है.

इस के बाद खुशबू एक जिंदा लाश में बदल गई थी, जो केवल देख और सुन सकती थी, लेकिन बोल नहीं सकती थी.

लेकिन इस रिश्ते का विरोध उस की अम्मी ने उस के अब्बू से किया था, मगर खुशबू ने खुद ही अम्मी को चुप करा दिया था.

खुशबू के अब्बू फलों का ठेला लगाते थे, जिसे बेच कर उन्हें मुश्किल से दो वक्त का खाना मिल पाता था, जिस के चलते खुशबू भी पड़ोस की शाहीन खाला के यहां से कढ़ाई करने के लिए साड़ी वगैरह ले आती थी, जिस से उसे भी कुछ पैसे मिल जाते थे और वह अपनी जरूरतें उन्हीं से पूरी कर लेती थी.

लेकिन इधर कुछ दिनों से खुशबू के अब्बू की तबीयत ठीक नहीं थी. सही से इलाज न होने के चलते वे धीरेधीरे बिस्तर से लग गए और फिर तो भूखों मरने की नौबत आ गई.

यह सब देख कर खुशबू की अम्मी आसपास के घरों में चौकाबरतन करने लगी थीं, जिस से अब्बू की दवा और जैसेतैसे घर का खर्च चलने लगा था.

खुशबू खूबसूरत ही नहीं, जहीन भी थी. उस ने घर पर रह कर ही अपनी सहेली गुलशन की मदद से हिंदी में भी पढ़नालिखना सीख लिया था. सभी उस की तारीफ करते नहीं थकते थे.

पहले तो खुशबू के अम्मीअब्बू को लगता था कि उन की बेटी को कोई न कोई रिश्तेदार अपना ही लेगा. अम्मी ने खाला के यहां उस के रिश्ते की बात चलाई थी, लेकिन उस की खाला ने अम्मी से साफ इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्हें ऐसी बहू चाहिए थी, जो ढेर सारा दहेज ले कर आए.

अब्बू ने भी खुशबू के रिश्ते के लिए कई जगह कोशिश की थी, लेकिन उन के हालात को देख कर सब ने इनकार कर दिया था. आसपड़ोस और उस के ददिहाल वाले रमजान में हर रोजाइफ्तारी भिजवा कर सवाब कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे.

ऐसे ही एक बार ईद पर जब खुशबू के चाचा और बड़े अब्बू 5,000 रुपए फितरा व जकात निकाल कर उस के घर देने पहुंचे थे, तो अम्मी का गुस्सा फट पड़ा था और अम्मी ने जम कर चाचा और बड़े अब्बू को खरीखोटी सुनाई थी और रुपए भी उन के मुंह पर फेंक दिए थे.

अम्मी का गुस्सा देख कर खुशबू के चाचा और बड़े अब्बू चुपचाप वहां से चले गए थे.

खुशबू ने अम्मी को पहली बार इतने गुस्से में देखा था. लेकिन वह जानती थी कि अम्मी को मेहनतमजदूरी करना मंजूर है, लेकिन ऐसी मदद उन को नागवार थी.

ऐसे ही एक दिन जब अब्बू की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी, तब अम्मी ने सब रिश्तेदारों के पास जा कर 500 रुपए उधार मांगे थे, लेकिन किसी के पास से एक रुपया भी नहीं निकला था, जबकि सभी के अच्छेखासे कारोबार चल रहे थे.

तब खुशबू के अब्बू के एक दोस्त रमेश चाचा ने खुद ही घर पहुंच कर अम्मी को रुपए दिए थे और आगे किसी चीज की जरूरत पड़ने पर बेझिझक कहने के लिए बोल कर गए थे.

खुशबू की अम्मी अकसर कहा करती थीं, ‘‘खुशबू के लिए कोई ऐसा लड़का ही मिल जाए, जो मजदूरी करता हो, कम से कम वह दो वक्त की रोटी तो उसे खिला सकेगा.’’

पिछले दिनों महल्ले में ही शहरुद्दीन के एक रिश्तेदार हमीदुल्ला मास्टर आए हुए थे, जो अच्छेखासे पैसे वाले थे. उन का चूडि़यों का थोक का कारोबार था. एक दिन वे महल्ले के लोगों के साथ बैठ कर बातें कर रहे थे.

‘‘मास्टर साहब, और बताइए कि घर के हालचाल कैसे हैं?’’ मोबिन मियां ने मास्टर साहब से पूछा.

‘‘क्या बताएं मोबिन मियां, औरत के बिना घर कोई घर होता है. जब से रजिया का इंतकाल हुआ है, तब से सबकुछ बदल गया है. घर तो जैसे काटने को दौड़ता है,’’ हमीदुल्ला मास्टर मायूस हो कर बोले.

‘‘मास्टर साहब, आप करीम की लड़की खुशबू से निकाह कर लें,’’ वहां बैठे साजिद ने सलाह दी.

‘‘हां, बेचारा करीम बहुत ही गरीब है और फिर वह आएदिन बीमार ही रहता है. एक ही लड़की है, वह भी जवान हो गई है. उस के पास तो देने के लिए कुछ है भी नहीं और फिर बिना दहेज के उस की शादी होने से रही.

‘‘अगर साबिहा भाभी चौकाबरतन न करने जाएं, तो दो वक्त का खाना भी नसीब न हो,’’ मास्टर साहब कुछ बोलते, इस से पहले ही वहां बैठे नबीरुल ने अपनी बात रखी.

‘‘आप का भी घर बस जाएगा और बेचारे करीम और साबिहा के सिर का बो झ भी हट जाएगा,’’ मोबिन मियां ने भी मास्टर साहब से कहा.

‘‘आप लोगों के भी तो लड़के जवान होंगे, आप लोग करीम की बेटी को बहू बना कर क्यों नहीं ले आते?’’ मास्टर साहब धीरे से बोले.

‘‘आप अगर निकाह कर लेंगे, तो बेचारी खुशबू की जिंदगी सुधर जाएगी. बचपन तो गरीबी में कट गया, कम से कम जवानी में तो अच्छा खा और पहन लेगी,’’ नबीरुल ने मास्टर साहब की बात अनसुनी कर उन पर दबाव डालते हुए कहा.

‘‘अच्छा, ठीक है. लेकिन क्या वह लड़की निकाह के लिए राजी हो जाएगी?’’ मास्टर साहब ने सवाल किया. ‘‘अरे, मास्टर साहब, गरीब की लड़की की जबान कहां होती है. बस, आप हां करें, बाकी हम पर छोड़ दें,’’ मोबिन मियां ने कहा.

‘‘चलिए, तो फिर लड़की भी दिखा दीजिए. आए हैं तो रिश्ते की बात भी कर ली जाए,’’ मास्टर साहब बोले.
इस के बाद वे सभी करीम के घर की ओर चल दिए.

‘‘हमीदुल्ला मास्टर तुम्हारी लड़की से निकाह करना चाहते हैं. उन की बीवी का इंतकाल… और रोटीपानी के लिए भी परेशानी होती है, इसलिए वे दोबारा घर बसाना चाहते हैं,’’ करीम के घर पहुंचते ही मोबिन मियां ने कहा.

‘‘आप को कोई एतराज तो नहीं है?’’ हमीदुल्ला मास्टर ने करीम से पूछा.

‘‘मु झे क्या एतराज हो सकता है. आप चाहें तो आज ही खुशबू से निकाह कर अपने साथ ले जाएं,’’ करीम धीरे से बोला.

‘‘ठीक है, आने वाली 15 तारीख को 8-10 लोगों को ला कर निकाह पढ़वा कर ले जाऊंगा तुम्हारी लड़की को. और हां, इस में जो भी खर्च आएगा, वह मैं आप को घर पहुंचते ही भिजवा दूंगा,’’ हमीदुल्ला मास्टर करीम से बोले.

‘‘मास्टर साहब, आप परेशान न हों. निकाह का सारा इंतजाम मैं करवा दूंगा,’’ मोबिन मियां ने मास्टर साहब से कहा.

‘‘और खाने का इंतजाम मैं कर दूंगा,’’ नबीरुल बोले.

जल्द ही निकाह का दिन भी आ गया. खुशबू अपने अम्मीअब्बू को देख रही थी, जिन के चेहरों पर न खुशी दिखाई दे रही थी और न गम, बस यही लग रहा था कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश कर रहे थे.

खुशबू दुलहन बनी बैठी थी, लेकिन शादी जैसा कुछ लग ही नहीं रहा था. सहेलियां भी उस से किसी तरह की छेड़छाड़ या फिर किसी तरह का मजाक करने की हिम्मत नहीं कर रही थीं.

‘‘बरात आ गई,’’ गाडि़यों की आवाज सुन कर खुशबू की एक सहेली नजमा बोली और बाकी सभी सहेलियां बरात देखने के लिए उस के कमरे से बाहर चली गईं.

खुशबू ने एक बार फिर एक नजर आईने पर डाल कर खुद को देखा. वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. लेकिन क्या फायदा ऐसी खूबसूरती का, जो उसे एक अच्छा शौहर न दिला सके.

बाहर 2 गाडि़यां करीम के दरवाजे पर आ कर रुकीं और गाड़ी से शेरवानी पहने हमीदुल्ला मास्टर और 4-5 लोग बाहर आए. उन के साथ मौलाना साहब भी थे, जिन्हें शायद मास्टर साहब निकाह पढ़वाने के लिए लाए थे.

बरात आने की खबर मिलते ही आसपड़ोस की औरतें और बच्चे अपनेअपने घरों से बाहर आ गए. सब को यही उत्सुकता थी कि क्या खुशबू इस निकाह से राजी है भी या नहीं?

‘‘आइए मास्टर साहब, आप लोग उधर चलिए,’’ मोबिन मियां ने सलाम कर मास्टर साहब से एक ओर इशारा करते हुए चलने की गुजारिश की.

‘‘अरे, रुकिए तो मोबिन मियां, अभी दूल्हे मियां और उन के दोस्तों को तो आने दीजिए,’’ मास्टर साहब हंसते हुए बोले.

‘‘मैं कुछ सम झा नहीं,’’ मोबिन मियां ने हैरानी से मास्टर साहब से पूछा.

मास्टर साहब कुछ बोलते, इस से पहले ही एक और कार वहां आ कर रुकी. कार फूलों से सजी हुई थी और उस में से सेहरा पहने हुए एक नौजवान गाड़ी से बाहर आया और उस के साथ 4 दोस्त और बाहर निकले.

‘‘दूल्हे मियां आ गए. चलिए, मोबिन मियां, अब कहां चलना है?’’ मास्टर साहब हंसते हुए बोले.

‘‘यह सब क्या है?’’ मोबिन मियां ने पूछना चाहा. वहां खड़े बाकी लोग भी हैरान थे कि यह क्या माजरा है.

‘‘यह मेरा बेटा समीर है और मैं अपनी शादी की नहीं, बल्कि अपने बेटे की शादी की बात कर रहा था. आप लोगों को क्या लगा कि इस बुढ़ापे में मैं अपनी शादी करता? मु झे बहू चाहिए थी, जो मेरे परिवार को सही से चला सके. दहेज का न मु झे लालच है और न ही मेरे बेटे को,’’ मास्टर साहब बोले.

उधर नौजवान दूल्हे को देख कर चारों ओर हलचल मच गई थी कि खुशबू का दूल्हा कोई बूढ़ा नहीं, बल्कि एक बांका जवान है.

आसपड़ोस के लोग तो खुश हुए, पर बहुत से दुखी नजर आ रहे थे कि इस गरीब की बेटी की तो किस्मत ही खुल गई, क्योंकि लड़का बड़ा ही हैंडसम था.

जब यह बात खुशबू को पता चली, तो खुशी से उस की आंखों में आंसू आ गए. उस ने देखा कि उस की अम्मी और अब्बू के चेहरे भी खुशी से खिल उठे थे.

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