शिवनगरी का जिला प्रशासन ऐसे ही काफी परेशान रहता है. मंदिरमसजिद तथा उन के पंडेमौलवियों की सुरक्षा में न जाने कितने नाकों चने चबाने पड़ते हैं. पुलिस, पीएसी टास्क फोर्स न जाने कितनी तरह की फोर्स हैं, फिर भी क्राइम कंट्रोल में नहीं आता. रोज ही कोई न कोई वी.आई.पी. आते रहते हैं मंदिर के दर्शन को और सरकारी दौरा बनाने के लिए 1-2 मीटिंग भी बुला लेते हैं.

पहले दर्शन कराओ फिर मीटिंग कराओ. दिन पर दिन यह समस्या गंभीर होती जा रही है. उसी में एक दिन शाम को फैक्स मिलता है कि नारदजी कल नगर में मंदिरों के दर्शनार्थ पधार रहे हैं. वह मंदिर में पूजा के बाद खासकर मार्कंडेय धाम का भ्रमण करेंगे. इस के बाद वह पत्रकार वार्त्ता भी करेंगे.

जिले की सारी प्रशासनिक मशीनरी घबरा गई कि यह नारदजी कौन हैं? कहीं प्रदेश के कोई माननीय मंत्री तो नहीं, लेकिन फैक्स के ऊपरनीचे कोई अतापता नहीं दिया गया था, न ही उन के किसी सेके्रटरी का नाम था. फैक्स करने वाले स्थान का फोन नंबर भी पत्र पर अंकित नहीं था, ताकि वापस फोन कर के पता कर लें कि यह नारदजी कौन हैं और किस विभाग के माननीय मंत्री या अध्यक्ष हैं.

आननफानन में जिला प्रशासन ने सर्किट हाउस में रिजर्वेशन कर दिया. पुलिस कप्तान को उन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए निर्देश दे दिए गए तथा सर्किट हाउस पर पुलिस पिकेट तैनात कर दी गई.

जिले के आला सरकारी अफसर दूसरे दिन ही सुबह सर्किट हाउस पर नारदजी की अगवानी करने पहुंच गए. चूंकि उन के सड़क या वायुमार्ग से आने की कोई निश्चित सूचना नहीं थी अत: हवाई अड्डे पर एस.डी.एम. (सिटी) तथा शहर के हर मुख्य मार्ग पर एकएक ए.सी.एम. और सी.ओ. की ड्यूटी पुलिस बल के साथ लगा दी गई थी.

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