‘‘ ‘जिस ने मुझे आइसक्रीम दी थी वह जीवन नहीं, उस का भाई है. वह युवक भी हूबहू जीवन जैसा लगता है, वैसा ही स्मार्ट, गोराचिट्टा, चमकती आंखें और कनटोप जैसे घने काले बाल. जीवन मेरे साथ कालेज में पढ़ता था. उसे स्टेज का बहुत शौक था. कालेज के हर ड्रामे में वह जरूर हिस्सा लेता था और मैं उस की थर्राती आवाज के जादू से सम्मोहित थी. जब भी उस का नाटक होता तब मैं सब से आगे जा कर बैठ जाती थी और नाटक खत्म होने के बाद सब से पहले उसे फूल भेंट कर उस के अभिनय व उस की थर्राती आवाज की प्रशंसा कि या करती थी.’
‘‘मुझे कुछ चुभ सा गया. मैं ने तड़प कर कहा, ‘ऐसा ही था तो उस से तुम ने शादी क्यों नहीं कर ली?’
‘‘उस ने बेलाग शब्दों में कहा, ‘शायद कर भी लेती, अगर डिगरी लेने जाते वक्त मोटरसाइकिल दुर्घटना में उस की मृत्यु न हो गई होती.’
‘जीवन जिंदा नहीं है?’
‘नहीं.’
‘यह बात तुम ने मुझे पहले क्यों नही बताई?’
‘‘उस ने कोई जवाब नहीं दिया. वह होंठ भींच कर दबे स्वर में सुबकने लगी. उस के पास जा कर न तो मैं ने उस की पीठ सहला कर उस के आंसू ही पोंछे और न सांत्वना के दो शब्द ही कहे. वह बैठी सुबकती रही और मैं बैठा सोचता रहा, ‘पिछले 8 सालों से यह औरत अपने पहले प्रेमी की थर्राती आवाज से सम्मोहित हो कर उस की स्मृतियां संजोए मेरे साथ जीने का नाटक करती रही है. यह मक्कार है. यह झूठी है. अब इस झूठ के साथ और मैं नहीं रह सकता.’’’