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अवनि कुछ पूछने ही वाली थी कि दीपक के कराहने की आवाज आई और उस के हाथों की उंगलियां हिलने लगीं. नर्स भागते हुए डाक्टर को बुलाने गई और अवनि ने दीपक का हाथ पकड़ लिया. डाक्टर आए, उन्होंने अवनि और नीरज को बाहर जाने को कहा और दीपक को चैक करने लगे. थोड़ी देर बाद नर्स बाहर आई और बोली, ‘‘आप लोग अंदर आ सकते हैं.’’ अंदर आ कर देखा तो दीपक की आंखें खुली थीं और वह सब को देख रहा था. उस ने अवनि को देख कर हाथ उठाने की कोशिश की पर वह फिर धीरे से हाथ नीचे करता हुआ फिर बेहोश हो गया.

डाक्टर सब को बाहर लाए और बोले, ‘‘अब दीपक जल्दी ठीक हो जाएगा, सुबह तक उसे पूरी तरह होश आ जाएगा.’’ अवनि और नीरज फिर होटल आ गए.

सुबह 8 बजे दोनों अस्पताल पहुंचे. अंदर जाने से पहले नीरज ने अवनि से कहा, ‘‘देखो, दीपक को होश आने के बाद उस से ज्यादा बात नहीं करना और न ही पूछताछ, गुस्सा तो बिलकुल नहीं. उस के पूरी तरह ठीक होने के बाद फिर तुम जानो और वो, मैं फिर बीच में नहीं बोलूंगा.’’

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अवनि ने ‘‘हां’’ कहा और दोनों मुसकराते हुए रूम में गए तो देखा दीपक को होश आ चुका था. नर्स ने कहा, ‘‘ये अभी बोलने की स्थिति में नहीं हैं और डाक्टर भी चैक कर के जा चुके हैं.’’ अवनि वहीं बैठ गई. उस ने नर्स को देखा, वह खुश थी, उस के चेहरे पर थकान का नामोनिशान नहीं था.

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