लेखक- मृणालिका दूबे
‘‘क्या हुआ? क्या टूट गया विक्रम?’’ कहती हुई नीता हाल में आई तो उस ने देखा, विक्रम पागलों की तरह टीवी स्क्रीन को घूर रहा था और उस का कप नीचे गिर कर टूट चुका था.
नीता ने झुक कर टूटा कप सावधानी से उठाया और चिंतित स्वर में बोली, ‘‘तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी? दूसरी चाय बना कर लाऊं?’’
विक्रम ने सिर हिलाते हुए मना कर दिया. फिर जल्दी से मोबाइल उठा कर साहिल को काल लगाने लगा. साहिल के काल पिक करते ही विक्रम ने कंपकंपाते हुए स्वर में धीरे से कहा, ‘‘हैलो साहिल, तुम ने न्यूज देखी क्या अभी की?’’
उधर से साहिल की अलसाई आवाज आई, ‘‘ओह यार, मैं तो अब तक सो ही रहा था. क्यों, क्या न्यूज है ऐसी, जो इतना परेशान हो कर काल कर रहा है तू?’’
‘‘ओफ्फोह साहिल, प्लीज जल्दी से टीवी औन कर और न्यूज देख अभी.’’ विक्रम ने किसी तरह कहा और काल कट कर मोबाइल टेबल पर रख दिया.
नीता यह सब देखसुन कर हैरान होते हुए बोली, ‘‘ओह तो इस लड़की की हत्या की खबर से तुम इतने परेशान हो रहे हो. क्या तुम जानते थे इसे?’’
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‘‘मैं? न..नहीं तो. भला मैं कैसे जानूंगा इस लड़की को?’’ विक्रम ने हकलाते हुए कहा.
तभी विक्रम का मोबाइल बज उठा.
हड़बड़ाते हुए विक्रम ने मोबाइल उठा कर देखा तो एक अनजान नंबर था. उस ने काल पिक करते हुए धीरे से हैलो कहा.
तो दूसरी ओर से एक रूखी आवाज आई, ‘‘मिस्टर विक्रम बोल रहे हैं? आप को अभी 11 बजे बांद्रा पुलिस स्टेशन में बुलाया है हमारे साब ने.’’