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लेखक- मृणालिका दूबे

विक्रम ने टाइम देखा और बेचैन होते हुए अपनी बगल में बैठे साहिल से बोला, ‘‘ओफ्फ!

आज भी काम खत्म करतेकरते 11 बज ही गए.’’

‘‘तो इस में नई बात क्या है यार, रोज ही तो देर हो जाती है हमें.’’ साहिल कंप्यूटर औफ करते हुए लापरवाही से बोल पड़ा.

‘‘ओहो साहिल, इतना भी नहीं समझते कि रात देर हो जाने पर हमारे विक्रम को घर पर नीता भाभी की डांट सुननी पड़ती है,’’ सामने से अपना बैग लिए आते हुए रोहित ने विक्रम को छेड़ते हुए मजाक किया.

दरअसल, विक्रम की पिछले महीने ही शादी हुई थी. उस की बीवी नीता एक बेहद सुंदर और स्मार्ट युवती थी. विक्रम की उस से मुलाकात एक रात अचानक ही एक शेयरिंग कैब में हुई, जब वह रात को ड्यूटी के बाद अपने घर जा रहा था. नीता भी अपनी ड्यूटी खत्म कर घर जाने के लिए निकली थी.

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पहली मुलाकात में ही नीता की मासूमियत और भोलेपन ने विक्रम का दिल चुरा लिया. वह हैरान था कि मुंबई में रह कर लेट नाइट जौब करने वाली नीता एकदम बच्चे की तरह मासूम थी. जल्दी ही उन की मुलाकातें बढ़ने लगीं जो सीधे शादी के मंडप तक जा पहुंची. नीता को अपना हमसफर बना कर विक्रम खुद को दुनिया का सब से भाग्यशाली इंसान समझता था.

इस एक महीने में ही नीता ने विक्रम को अपने प्यार के सागर में इस कदर डुबोया था कि विक्रम का रोमरोम नीता का गुलाम बन गया था.

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