Hindi Story, लेखक - एम. मुबीन
घर आते ही सलीम सिर पकड़ कर पलंग पर बैठ गया. उस के चेहरे की हालत देख कर सईदा का माथा ठनका. उस की हालत बता रही थी कि कोई ऐसी बात जरूर हुई है, जिस ने उसे परेशान कर दिया है.
‘‘क्या बात है, बहुत परेशान दिखाई दे रहे हो?’’ सईदा सलीम की बगल में जा बैठी और धीरे से बोली.
बीवी की आवाज सुन कर सलीम चौंका. उस ने उसे देखा और बोला, ‘‘ऐसा लगता है, परेशानियां हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगी.’’
‘‘क्या मतलब? बात क्या है? आप बताते क्यों नहीं?’’ यह सुन कर सईदा भी परेशान हो गई.
‘‘और क्या हो सकता है... काम से निकाल दिया गया हूं,’’ सलीम ने कहा, तो निकाले जाने की वजह पूछने की सईदा की हिम्मत ही नहीं हुई.
साल में यह तीसरा मौका था, जब सलीम काम से निकाला गया था. दरअसल, सईदा को लगता था कि अगर सलीम ऐसे ही नौकरी में रहा तो उम्रभर उस के साथ यही होता रहेगा.
सलीम शादी से पहले ही छोटीबड़ी दुकानों में काम करता था. वह अपने काम में होशियार था. मालिक भी उस के काम से बहुत खुश रहता था, पर इस के बावजूद किसी भी छोटीमोटी भूल पर कभीकभी बिना वजह ही उसे काम से निकाल दिया जाता था. इस में सलीम का कोई कुसूर नहीं होता था, कुसूर होता था मालिक की नीयत का.
मालिकों को यह डर रहता था कि एक खास मुद्दत तक काम करने के बाद सलीम पक्का मुलाजिम बन जाएगा और फिर उसे पक्की नौकरी की सारी सहूलियतें देनी पड़ेंगी, इसलिए इस मुसीबत को गले बांधने से पहले ही उसे काम से निकाल दिया जाता था.
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