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मधुरा ने विवेक के सामने अपनेआप को संयत रखा और उत्पल को खोजना शुरू किया. पुराने संपर्कों के माध्यम से मधुरा ने आसानी से उत्पल की आईडी खोज निकाली. उस ने उत्पल से कांटैक्ट किया.

अपने सर्किल में बाहुबली की छवि बनाता जा रहा उत्पल मधुरा की आवाज सुन कर रो पड़ा. दोनों के बीच बातें फिर से शुरू हो गईं.

उत्पल अब तक कुंआरा था. मधुरा की जगह किसी और को देने के बारे में वह सोच भी नहीं पाता था. बस जिस्मानी जरूरत जब बहुत ज्यादा आवाज देने लगती तो निराशा में पैसों के बल पर अपना बिस्तर रातभर के लिए सजा लेता था, लेकिन जो खालीपन उस के दिल में था, उस का इलाज वह कैसे करता?

मधुरा ने उस को अपनी सारी कहानी धीरेधीरे सुनानी शुरू कर दी. बाद में उस ने अपनी बहन और मां को भी सबकुछ बता दिया. वे भी सन्न रह गईं, मगर मधुरा के मना करने के चलते किसी ने विवेक से कुछ नहीं कहा.

समय बीतता रहा. एक दिन विवेक ने मधुरा के सामने प्रस्ताव रखा कि अपनी शादी की छठी सालगिरह किसी दूसरे शहर में चल कर मनाई जाए. मधुरा राजी हो गई. दोनों अपने बेटे को ले कर होटल में पहुंचे.

खास मौके के लिए मधुरा भी सजीधजी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. रात पिंकू को जल्दी सुला कर विवेक ने मधुरा को अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा, तभी कमरे का दरवाजे झटके से खुला और 4 नकाबपोश अंदर घुस आए.

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