अपनी पड़ोसिन मधुरिमाजी की मांगने की आदत ने हमें कहीं का नहीं रखा था. हमारी गति सांपछछूंदर की सी हो गई थी. न मना करते बनता, न ही कोई चीज वापस मिलती. आखिर पतिदेव ने ही ऐसा तरीका निकाला कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी.