मैं ने एक बार एक कामर्शियल गाड़ी खरीदी. मेरे दोस्त रमाकांत ने भी कुछ दिन बाद एक कामर्शियल गाड़ी खरीद ली. उस का ट्रांसपोर्ट का लंबाचौड़ा कारोबार था और इस क्षेत्र में उसे काफी महारत हासिल थी. अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने में मेरी हालत खराब हो गई, क्योंकि कभी पैन कार्ड, तो कभी आधार कार्ड और न जाने कितने कागजात देखे, तब जा कर मैं रजिस्ट्रेशन करा पाया.
नए आरटीओ अफसर से मेरा पहली बार वास्ता पड़ा था और मैं भुक्तभोगी था, यही जान कर मेरे दोस्त रमाकांत ने मुझ से सलाह लेने की सोची और एक दिन घर आ कर वह मुझ से रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी लेने लगा.
मैं ने उसे बताया, ‘‘इस बार जो आरटीओ अफसर आया है, वह बहुत नियमकानून मानने वाला कड़क अफसर है. सारे कागजात खुद देखता है और गाड़ी के मालिक से भी मिल कर बात करता है.’’
‘‘क्याक्या कागजात देखता है यार?’’ रमाकांत ने पूछा.
मैं ने बताया, ‘‘आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, बिजली का बिल, टैलीफोन का बिल, 4 पासपोर्ट साइज फोटो… तब कहीं जा कर रजिस्ट्रेशन करता है. इन 5 कागजात में से 3 को दिखाना जरूरी कर रखा है.’’
रमाकांत ने मजाक में कहा, ‘‘देखो यार, मैं तो केवल वोटर कार्ड और फोटो ले जा कर अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करा लूंगा और रजिस्ट्रेशन भी उसी दिन ही होगा. इस के बाद पार्टी.’’
मैं ने सहमति में सिर हिला दिया. बात आईगई हो गई. नियम के मुताबिक कुछ दिन बाद मेरे दोस्त रमाकांत को भी आरटीओ दफ्तर से बुलावा आया. उस दिन वह अपने ट्रक ड्राइवर की गंदी सी लुंगी और कुरता पहन कर अफसर के कमरे में रसीद समेत दाखिल हुआ.
जब उस आरटीओ अफसर ने अंगरेजी में पूछा कि वाट डू यू ब्रिंग? तो जवाब में रमाकांत ने कहा, ‘‘साहब, मैं तो केवल हिंदी और उर्दू जानता हूं.’’
वह आरटीओ अफसर बंगाली था. उस ने अपनी टूटीफूटी हिंदी में पूछा, ‘‘क्याक्या कागज लाया है?’’
रमाकांत ने तुरंत अपना वोटर कार्ड और लुंगी में खींचे गए 2 फोटो आरटीओ अफसर के आगे कर दिए.
आरटीओ अफसर ने जैसे ही पैन कार्ड कहने की कोशिश की, तो रमाकांत ने उसे बीच में ही टोक दिया और बोला, ‘‘साहब, मेरे पास पैंट नहीं है. 2 लुंगी और 2 कुरते हैं. मैं एक धोता हूं, एक पहनता हूं.’’
तब आरटीओ अफसर ने समझाया, ‘‘पैंट नहीं…’’ तो रमाकांत ने बीच में बात काटते हुए कहा, ‘‘हांहां, मुझे मालूम है कि पैंट पहनी जाती है, पर मेरे पास पैंट नहीं है. जब मैं ने डीलर से गाड़ी खरीदी थी, तब भी मैं ने लुंगी ही पहनी थी. देखिए, मेरे ये लुंगी वाले 2 फोटो,’’ कह कर वह आरटीओ अफसर के सामने फोटो वाला हाथ नचाने लगा.
इस से घबरा कर आरटीओ अफसर ने कहा, ‘‘और क्या कागज हैं?’’
‘‘और कुछ नहीं हैं. मैं ट्रक चलाता हूं, उसी में सोता हूं. कभीकभार मैं इधरउधर सो जाता हूं. मेरे पास केवल वोटर कार्ड है. जब पैसा लिया, तब तो डीलर बोला नहीं था कि रजिस्टे्रशन कराने के लिए पैंट पहननी होगी. मैं 53 साल का हूं, अभी तक पैंट नहीं पहनी. मैं लुंगी पहन कर ही गाड़ी चलाता हूं.’’
आरटीओ अफसर ने माथे पर आए पसीने को अपने सफेद रूमाल से पोंछा. वह उस घड़ी को कोस रहा था, जब उस ने इस देहाती ट्रक ड्राइवर को दफ्तर में बुलाया था.
इधर मेरा दोस्त यही सुर अलाप रहा था, ‘‘आप के दफ्तर में जब टैंपरेरी रजिस्ट्रेशन हुआ था और पैसा ले कर रसीद दी थी, तब भी नहीं बोला गया था कि पैंट पहनने वाला आदमी ही गाड़ी खरीद सकता है और उस का रजिस्ट्रेशन करा सकता है.
‘‘मैं किसी को नहीं छोड़ूंगा, टैंपरेरी रजिस्ट्रेशन के नाम से जो पैसा लिया है, वह भी वापस दो. अपनी रसीद रखो. मैं थाने में जाऊंगा और शिकायत करूंगा. मुझे अनपढ़ जान कर आरटीओ अफसर और डीलर ने मिल कर मेरी 35 साल की कमाई हजम कर ली.’’
आरटीओ अफसर हैरानपरेशान था. यह उस की जिंदगी का पहला और कड़वा अनुभव था. वह निढाल हो कर कुरसी पर बैठ गया. मेज पर रखे गिलास का पूरा पानी एक ही सांस में गटक गया, फिर रमाकांत को बैठाया, अपने हाथों से पीने के लिए पानी दिया और बोला, ‘‘ठीक है, तुम दस्तखत कर दो.’’
दस्तखत करते ही आरटीओ अफसर ने तुरंत रमाकांत को गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कर के सर्टिफिकेट थमा दिया और हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘आप बेफिक्र हो कर लुंगी में ही गाड़ी चलाइए, कोई आप को पैंट पहनने को नहीं कहेगा.’’
रमाकांत हंसतेहंसते बाहर आ गया. दूसरे दिन मुझे रमाकांत ने चटकारे ले कर सारा मामला बताया कि कैसे उस ने गंवार बन कर एक पढ़ेलिखे अफसर को दिन में तारे दिखा दिए.