Hindi Funny Story, लेखक - मुकेश विग
कुत्तों के मुखिया ने सभी कुत्तों को शाम को एक आपात बैठक में मैदान में पहुंचने को कहा. शाम के समय बड़ी तादाद में बहुत सारे कुत्ते पूंछ हिलाते हुए मैदान में पहुंचने लगे.
कुछ देर बाद एक कुत्ता कहने लगा, ‘‘दोस्तो, क्या आप जानते हैं कि हमें सड़कों से हटाने की तैयारियां चल रही हैं? हमारा कुसूर क्या है? क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं? आदमी में और हम में सिर्फ पूंछ का ही तो फर्क है. वे बोलते हैं, तो हम भौंकते हैं.
‘‘हमें आवारा भी कहा जा रहा है, जिस से दिल को बड़ी चोट पहुंचती है. पर हम तो गलियों के राजा हैं, आवारा नहीं. हमें देख कर तो बड़ेबड़े चोर भी भाग जाते हैं.’’
दूसरा कुत्ता बोला, ‘‘इस ‘आवारा’ शब्द को सुन कर खुदकुशी करने का मन करता है, लेकिन हमें तो सुसाइड करना भी नहीं आता. हमारे ही कुछ साथी बड़ेबड़े घरों में शान से रहते हैं, खाते हैं, बिस्तर पर सोते हैं, महंगी गाडि़यों में घूमते हैं. क्या वे भी आवारा हैं?
‘‘2-4 कुत्तों की वजह से हमारी पूरी कौम को बदनाम करना सही नहीं. हम कोई नशा नहीं करते, सिर्फ हड्डी का चसका है.
‘‘पुलिस में भी कई हमारे साथी ट्रेनिंग ले कर चोरों और अपराधियों को पकड़वा रहे हैं. हमारे एहसानों को भी भुला दिया गया है. कोई अगर छेड़खानी करे तो उसे जरूर हम काट लेते हैं, फिर बिना वजह किसी को भी क्यों काटेंगे?
‘‘कई फिल्मों में भी हमारे साथियों ने अच्छा काम किया है. धर्मराज युधिष्ठर ने भी एक कुत्ते को ही इतनी इज्जत और प्यार दिया था, फिर यह अचानक हमें बेदखल व बेघर क्यों किया जा रहा है? हमें मिलवार भौंकते हुए इस के खिलाफ हर हाल में आवाज उठानी होगी.
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