2 बच्चों की मां माया आज डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट थी. पर इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उस ने बड़ी जद्दोजेहद की थी. पिता ने कम उम्र में उस की शादी करा दी थी, जहां सुख किस चिडि़या का नाम है,

माया ने कभी महसूस ही नहीं किया था. फिर उस ने एक ऐसा कड़ा फैसला लिया कि उस की जिंदगी ही पलट गई. कैसे हुआ यह सब?

अपने अतीत की यादों में खो चुकी माया का ध्यान तब भंग हुआ, जब बाहर स्कूल से लौट रहे बच्चों की आवाज उस के कानों में सुनाई दी. तभी आशा दीदी भी मिठाई का डब्बा लिए घर आ गई थीं.

दोनों बच्चे आशा दीदी के हाथ में मिठाई का डब्बा देख कर खुशी से चहक कर पूछ बैठे, ‘मौसी, आज किस खुशी में हमें मिठाई मिलने वाली है?’

‘‘बच्चो, आज से तुम्हारे भविष्य की एक नई शुरुआत होने वाली है. तुम्हारी मम्मी ने यूपीएससी का इम्तिहान पास कर लिया है. अब वे बड़ी अफसर बनेंगी.’’

आशा दीदी ने मिठाई का डब्बा खोलते हुए बच्चों की तरफ बढ़ा दिया. माया आशा दीदी के गले लग गई और आंसुओं की धारा बह निकली.

आशा दीदी ने आंसू पोंछते हुए कहा, ‘‘माया तुम ने अपने बुलंद इरादों से जमीं से आसमां तक का सफर तय किया है और समाज को एक संदेश दिया है कि औरत हमेशा ही मर्दों पर हावी रही है.’’

‘‘दीदी, अगर आप मुझे संबल न देतीं, तो मैं तो कभी की टूट चुकी होती. दीदी, मेरी कामयाबी के पीछे आप का भी बड़ा योगदान है, थैंक यू दीदी,’’ माया आशा दीदी से बोली.

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