शाम का सुहाना मौसम था. राहिल रोजाना की तरह ट्यूशन पढ़ने जा रही थी कि अचानक एक खूबसूरत नौजवान लड़का तेज रफ्तार में बाइक चलाता हुआ उस के बगल से गुजरा.
राहिल जोर से चिल्लाते हुए बोली, ‘‘पागल हो क्या, जो इतनी तेज गाड़ी चला रहे हो… आतेजाते लोगों का कुछ तो खयाल करो.’’
बाइक सवार कुछ दूर जा कर बाइक रोकते हुए बोला, ‘‘पूरी सड़क पर आप का राज है क्या, जो बीच रोड पर चल रही हो?’’
राहिल ने कहा, ‘‘लगता है कि यह सड़क आप के अब्बा ने बनवाई है, जो आंधी की तरह बाइक चला रहे हो.’’
बाइक सवार बोला, ‘‘सड़क तो मेरे अब्बा ने ही बनवाई है, क्योंकि मैं इस गांव के प्रधान शौकत अली का बेटा सिराज हूं.’’
राहिल भी कहां कम थी, बोली, ‘‘तभी इतना घमंड आप के अंदर भरा है, जो राह चलते लोगों की भी परवाह नहीं है.’’
सिराज ने कहा, ‘‘मैडम, यह घमंड नहीं, बल्कि मेरा बाइक चलाने का शौक है और तेज गाड़ी चलाने का हुनर भी. आज तक कोई नहीं कह सकता कि सिराज से किसी तरह का कोई हादसा हुआ हो.
‘‘वैसे, आप इस गांव में नई लगती हो, जो मुझे इस तरह डांट रही हो, वरना मुझे देख कर लोग सिर्फ मेरी तारीफ ही करते हैं.’’
राहिल बोली, ‘‘बेवकूफ हैं वे लोग, जो एक सिरफिरे की तारीफ करते हैं और इस तरह बाइक चलाने से आनेजाने वालों को ही नहीं, बल्कि खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है.’’
सिराज ने कहा, ‘‘आप मेरी फिक्र न करें, मैं अपने हुनर में माहिर हूं.’’
राहिल भी जवाब देते हुए बोली, ‘‘फिक्र नहीं कर रही हूं, बल्कि मैं आप को चेतावनी दे रही हूं कि अपनी नहीं तो अपने मांबाप की परवाह करो. किसी दिन आप के साथ कोई हादसा हो गया, तो आप के मांबाप पर क्या गुजरेगी… क्या हाल होगा उन का…’’
राहिल के मुंह से यह बात सुन कर सिराज यह सोचने पर मजबूर हो गया कि वाकई उस के अम्मीअब्बा उस से कितना प्यार करते हैं. अगर उसे कुछ हो गया तो वे तो जीतेजी मर जाएंगे.
सिराज ने राहिल से कहा, ‘‘मुझे माफ करना. मैं ने तो कभी यह सोचा ही नहीं था कि मेरी जिंदगी पर मेरे मांबाप का भी हक है. वे मुझे लगी एक मामूली सी खरोंच से परेशान हो उठते हैं. वैसे, आप हैं कौन और यहां कहां रहती हैं?’’
राहिल ने बताया, ‘‘मैं युसूफ पटवारी की बेटी राहिल हूं, जो अभी कुछ महीने पहले ही यहां आ कर बसे हैं.’’
जैसे ही राहिल ने अपना नकाब हटाया, तो सिराज उस के खूबसूरत चेहरे को बस देखता ही रहा. राहिल उसे एक प्यारी सी मुसकान दे कर अपने रास्ते पर चली गई.
सिराज पहले तो उसे ठगा सा देखता रहा, पर फिर थोड़ी देर बाद उस ने बाइक स्टार्ट की और राहिल से बात करने के इरादे से उस के पीछे गया, पर तब तक वह कहीं गायब हो चुकी थी.
सिराज एक हैंडसम और हट्टाकट्टा लड़का था. आज वह राहिल को देख कर उस का दीवाना हो गया था.
उस रात सिराज की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उस की आंखों के सामने बस राहिल ही घूम रही थी.
राहिल का सिराज को डांटना उस के दिल पर एक गहरी छाप छोड़ गया था, जबकि आज तक गांव में न जाने कितनी लड़कियां सिराज को पाने के लिए बेताब रहती थीं, पर उस ने आज तक किसी को भाव नहीं दिया था.
अगले दिन सिराज राहिल की एक झलक पाने और उस से अपने दिल की बात कहने के लिए उसी रास्ते पर जा
कर खड़ा हो गया, जहां वह कल उसे मिली थी. काफी इंतजार करने के बाद राहिल अपनेआप को नकाब में ढक कर उस रास्ते से गुजरती हुई नजर आई, तो सिराज भी उस के पीछेपीछे चल दिया.
राहिल सिराज को अपने पीछे आते देख एक सुनसान जगह पर रुकते हुए बोली, ‘‘जनाब, आप मेरा पीछा क्यों कर रहे हैं?’’
सिराज झिझकते हुए बोला, ‘‘आप बहुत खूबसूरत हो. मैं आप से प्यार
करता हूं.’’
राहिल बोली, ‘‘पर, मैं तो आप से प्यार नहीं करती.’’
सिराज ने कहा, ‘‘मैं आप के बिना नहीं रह सकता.’’
राहिल ने जवाब दिया, ‘‘आज तक तो मेरे बिना ही रह रहे थे.’’
सिराज बोला, ‘‘तब मैं ने आप को देखा नहीं था और न ही कभी किसी ने मुझे इस कदर तेज गाड़ी चलाने पर डांट कर समझाया था, जिस में एक मां की ममता भी थी और एक जीवनसाथी की परवाह भी.’’
राहिल ने कहा, ‘‘वह तो मैं ने आप को किसी बड़े हादसे का शिकार होने से बचाने के लिए बोला था.’’
सिराज बोला, ‘‘बस, यही वजह है. उसी समय आप ने मेरे दिल को जीत लिया था और मैं आप का दीवाना बन गया था.’’
राहिल ने साफसाफ कहा, ‘‘पर, मैं आप से प्यार नहीं करती.’’
सिराज ने जिद में आ कर कहा, ‘‘अगर आप मुझ से प्यार नहीं करेंगी, तो मैं अपनी जान दे दूंगा.’’
राहिल ने कहा, ‘‘ऐसी बातें नहीं करते. मुझे थोड़ा समय दो. मैं एकदम से कैसे हां कर सकती हूं…’’
सिराज बोला, ‘‘ठीक है, कल इसी समय या तो तुम मेरे प्यार को कबूल कर लेना, वरना तुम्हारे सामने ही मैं अपनी जान दे दूंगा.’’
राहिल भी मन ही मन सिराज को चाहने लगी थी, पर उस ने यह कभी नहीं सोचा था कि सिराज उसे इस कदर प्यार करने लगा है कि उस के न मिलने पर वह अपनी जान देने पर भी उतारू हो जाएगा.
अगले दिन सिराज समय से पहले ही राहिल के आने के इंतजार में वहीं खड़ा हो गया. उस का एकएक पल कई घंटे की तरह बीत रहा था. वह कभी अपनी घड़ी देखता, तो कभी राहिल के आने की झलक बेताबी से देखता. आज उसे ऐसा लग रहा था, मानो समय कहीं थम गया हो, जैसे घड़ी अपनी जगह पर रुक गई हो.
तभी कुछ देर बाद राहिल आती हुई नजर आई, तो सिराज की जान में जान आ गई, पर अभी भी वह इसी उधेड़बुन में लगा था कि वह उसे हां में जवाब देगी या न में.
राहिल जब सिराज के पास से हो कर गुजरी, तो उस ने अपना नकाब हटाते हुए सिराज को एक मुसकान भरी नजर से देखा और सीधी आगे चल दी.
राहिल का ग्रीन सिगनल पाते ही सिराज खुशी से झूम उठा. वह भी राहिल के पीछेपीछे चल दिया और उस सुनसान जगह पर जा कर दोनों ने एकदूसरे से अपने प्यार का इजहार करते हुए गले से लगा लिया.
अब दोनों को एकदूसरे का फोन नंबर मिल चुका था. दोनों घंटों एकदूसरे से प्यारमुहब्बत की बातें करते और एकदूसरे से शादी करने के सपने संजोते.
दोनों अपनी जिंदगी में खुश थे कि उन के प्यार की कहानी पूरे गांव में फैलने लगी, तो राहिल के अब्बा को भी इस बात का पता चल गया. उन्होंने गुस्से में आ कर राहिल को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी.
उधर जब सिराज को राहिल कहीं आतेजाते न मिली, तो वह पागलों की तरह उसे ढूंढ़ने लगा और जल्द ही राहिल के घर पहुंच गया.
सिराज ने राहिल के अब्बा को अपने और राहिल के प्यार के बारे में बताया, तो उन्हें गुस्सा आ गया और वे बोले, ‘‘तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तू मेरी बेटी से मिलने मेरे ही घर तक आ गया…’’
सिराज ने कहा, ‘‘मैं राहिल से निकाह करना चाहता हूं. हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं.’’
यह सुनते ही राहिल भी अपने अब्बा के सामने आ गई और बोली, ‘‘अब्बा, मैं भी सिराज के बिना नहीं रह सकती और मैं इस से बहुत प्यार करती हूं.’’
राहिल के अब्बा समझ चुके थे कि बेटी पर जोरजबरदस्ती करने से कोई फायदा नहीं है.
राहिल के अब्बा सिराज से बोले, ‘‘बेटा, मुझे तुम दोनों के प्यार से कोई गिलाशिकवा नहीं है. तुम अपने अम्मीअब्बा को यहां भेज दो. अगर वे तुम्हारे लिए राहिल का रिश्ता मांगेंगे, तो मैं तैयार हूं.’’
यह सुनते ही सिराज खुशी से झूम उठा और उन से विदा ले कर अपने घर चला गया.
सिराज ने घर आ कर अम्मीअब्बा से अपने प्यार के बारे में बताया और कहा, ‘‘मैं राहिल से शादी करना चाहता हूं. आप मेरे लिए राहिल का हाथ मांगने उन के घर जाएं.’’
सिराज की बात सुन कर पहले
तो उस के अब्बा ने नानुकर की, पर सिराज की जिद और उस की अम्मी के जोर देने पर उन्हें अपने एकलौते बेटे
की बात माननी पड़ी और वे सिराज के लिए राहिल का हाथ मांगने उस के घर चले गए.
राहिल और सिराज के अब्बा दोनों अपने बच्चों की मुहब्बत के आगे झुक गए और राहिल के अब्बा ने सिराज से शादी करने के लिए एक साल का समय इस शर्त पर मांगा कि राहिल की तब तक पढ़ाई पूरी हो जाएगी और उसे बीच में पढ़ाई छोड़ कर शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा.
सिराज के अब्बा इस बात के लिए भी राजी हो गए और दोनों की शादी की बात पक्की हो गई.
सिराज और राहिल का रिश्ता तय होने के बाद अब वे दोनों खूब घूमते और आपस में बातचीत कर के अपनी शादी के सपने संजोते.
शाम का समय था. सिराज राहिल को घुमाने अपने खेत पर ले गया, जहां उन की फसल लहलहा रही थी. जून का महीना था. आम के पेड़ पर कच्चे आम लगे थे, जिन्हें सिराज ने तोड़ कर राहिल को दिए राहिल खट्टे आम बड़े मजे से खा रही थी. दोनों खेतखलिहान की हवा का मजा ले रहे थे, तभी तेज आंधी आई और बारिश शुरू हो गई.
बारिश से बचने के लिए राहिल और सिराज खेत में बनी कोठरी के अंदर चले गए, जिस में काफी अंधेरा था. राहिल अंधेरा देख कर घबराने लगी कि तभी बिजली की गड़गड़ाहट से वह घबरा कर सिराज से चिपक गई.
राहिल की छुअन पाते ही सिराज के बदन में भी बिजली दौड़ने लगी. उस ने आज तक किसी लड़की के बदन को छुआ तक नहीं था. दोनों ऐसे चिपक गए, जैसे किसी पेड़ से कोई अमरबेल.
सिराज राहिल के उभरे हुए सीने को अपने सीने पर महसूस कर रहा था. उस के बदन में गरमी आने लगी. उस ने अपने गरम होंठ राहिल के कंपकंपाते होंठों पर रख दिए.
राहिल सिराज के होंठों की छुअन पाते ही सिहर उठी कि तभी सिराज राहिल के होंठों को चूमने लगा. फिर उस ने राहिल को जमीन पर लिटा दिया और उस की गरदन पर चुंबनों की बौछार
कर दी.
सिराज की इस हरकत से राहिल कामुक हो उठी. उस ने सिराज को
अपने ऊपर खींचते हुए अपनी बांहों में भर लिया.
सिराज ने मोके की नजाकत को समझते हुए बिना समय गंवाए राहिल के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और उस पर हावी हो गया. फिर उन दोनों ने एकदूसरे के बदन की गरमी को शांत कर दिया.
राहिल और सिराज आज दोनों खुश थे. उन्होंने एकदूसरे के बदन से पहली बार एक ऐसा सुख भोगा था, जिस से वे अनजान थे.
बारिश रुक चुकी थी. उन दोनों ने जल्दीजल्दी कपड़े पहने और अपनेअपने अपने घर आ गए.
इस घटना को अभी एक हफ्ता भी नहीं गुजरा था कि एक दिन राहिल को एक दुखभरी घटना सुनने को मिली.
हुआ यों था कि एक दिन सिराज राहिल से मिलने की खुशी में तेज रफ्तार से बाइक चला कर उस के घर आ रहा था कि तभी एक मोड़ पर सामने से अचानक ट्रक आ गया. टक्कर इतनी तेज थी कि सिराज ने वहीं दम तोड़ दिया.
राहिल अभी सिराज के जाने का गम भुला भी नहीं सकी थी कि उसे एक दिन तेज चक्कर आया और वह वहीं गिर पड़ी. घर वालों ने जब उसे डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि वह एक महीने के पेट से है.
यह सुन कर राहिल के घर वाले दंग रह गए. उन्होंने इस बदनामी से बचने
के लिए राहिल को बच्चा गिराने की सलाह दी.
राहिल को जब अपने पेट से होने का पता चला और उस के घर वालों ने उसे बच्चा गिराने के लिए कहा, तो राहिल ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.
राहिल की अम्मी ने उसे बहुत समझाया, ‘‘क्या तुम कुंआरी मां बन कर हमारी इज्जत उछालना चाहती हो? कुछ तो शर्म करो…’’
राहिल बोली, ‘‘मैं ने सिराज से सच्ची मुहब्बत की है. मैं अपने प्यार की निशानी को नहीं खो सकती. दुनिया क्या कहती है, मुझे परवाह नहीं. मैं अपने प्यार की निशानी को इस दुनिया में जरूर लाऊंगी.’’
आखिरकार वह समय भी आ गया, जब राहिल ने अपने प्यार की निशानी सिराज के बेटे को जन्म दिया, जिस से उसे बड़ी खुशी मिली और वह एक कुंआरी मां बन गई.
राहिल ने दुनिया की परवाह न करते हुए अपने प्यार की निशानी को दुनिया
में लाने के लिए कई ताने सहे, कई
लोगों ने उस की बुराई की, उस के मांबाप को भी काफी रुसवाई का सामना करना पड़ा, पर राहिल ने सिराज की इस आखिरी निशानी को दुनिया में लाने के लिए कुंआरी मां बनना पसंद किया. वह जिंदगीभर बिनब्याही मां रही.