सुमन लाल की बेटी दामिनी अब तक 18 वसंत देख चुकी थी. वह उम्र के जिस पड़ाव पर थी, उस पड़ाव पर अकसर मन मचल ही जाता है. पर वह एक समझदार लड़की थी. इस बात को सुमन लाल अच्छी तरह से जानता था, फिर भी उस को अपनी बेटी की शादी की चिंता सताने लगी थी.
एक दिन सुमन लाल ने इस बात का जिक्र अपनी पत्नी शीला से किया, तो उस ने भी सहमति जताई.
अब तो सुमन लाल दामिनी के लिए एक पढ़ालिखा वर ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा. आखिरकार एक दिन सुमन लाल की तलाश खत्म हुई.
लड़का पढ़ालिखा था और अच्छे खानदान से ताल्लुक रखता था. सुमन लाल को यह रिश्ता जम गया. बात भी पक्की हो गई.
एक दिन लड़के वालों ने लड़की को देखने की इच्छा जताई. सुमन लाल खुशीखुशी राजी हो गया.
लड़के वाले सुमन लाल के गांव पहुंचे. कुछ देर तक इधरउधर की बात करने के बाद किसी ने कहा, ‘‘क्यों
न इन दोनों को बाहर टहलने के लिए भेज दिया जाए. इस से दोनों एकदूसरे को जानसमझ लेंगे.’’
सभी लोगों की सहमति से वे दोनों झल के किनारे चले गए, जो गांव के बाहर थी.
?ाल बहुत खूबसूरत और बड़ी थी. उसे पार करने के लिए लकड़ी का एक पतला सा पुल बना हुआ था.
लड़के ने दामिनी से बातें करते हुए उसी पुल पर जाने की इच्छा जताई. दोनों पुल पर चलने लगे.
थोड़ी देर बाद अचानक एक घटना घट गई. हुआ यों कि गांव का ही एक दबंग लड़का, जो कई दिनों से दामिनी के पीछे पड़ा था, वहां पर आ धमका. उस के एक हाथ में चाकू था.