राइटर- नीरज कुमार मिश्रा
‘‘मुझे कैंसर है, यह बात जानते ही धीरेधीरे मु?ा से सभी नातेरिश्तेदारों ने किनारा कर लिया. अब न मेरे पास पैसे हैं और न ही कोई सहारा देने वाला...’’ कहते हुए तरुण काफी उदास हो गया था.
तरुण की हालत देख कर नमिता ने अपनी आंखों में ही आंसुओं को छिपा लिया था. कुछ देर तक कमरे में खामोशी छाई रही.
‘‘मैं चाय बना लाऊं, अगर आप पी लें तो...?’’
तरुण ने हां में अपना सिर हिला दिया.
चाय पीने के दौरान ही नमिता की उंगलियां गूगल पर कुछ सर्च कर रही थीं और कुछ देर बाद ही देश के कई नामचीन कैंसर स्पैशलिस्ट डाक्टरों की लिस्ट उन दोनों के सामने थी.
‘‘हमें आप के अच्छे इलाज के लिए बैंगलुरु जाना होगा...’’
‘‘पर, इतने पैसे कहां से आएंगे?’’ तरुण हैरान था.
‘‘उस सब की फिक्र आप मत करो...’’ कहने के साथ ही नमिता कुछ जरूरी चीजों की लिस्ट बनाने लगी थी, साथ ही साथ उस ने बैंगलुरु की ट्रेन की टिकट भी बुक कर दी थी.
नमिता आधी रात तक फ्लैट के कमरों की सफाई करती रही. हालांकि बैंगलुरु जाने में अभी 2 दिन बाकी थे, पर नमिता इन 2 दिनों में बहुतकुछ कर लेना चाहती थी.
एक बहुत बड़े कैंसर स्पैशलिस्ट की देखरेख में तरुण का इलाज शुरू हुआ, कैंसर का इलाज काफी महंगा होता है, पर नमिता इन सब चीजों के लिए पहले से ही तैयार थी.
तरुण के इलाज पर लाखों रुपए का खर्च आने वाला था, पर इस बात से नमिता दुखी नहीं थी. वह तो किसी भी कीमत पर तरुण को बचा लेना चाहती थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप