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नीरज कुमार मिश्रा

फजल और हिना की शादी को 7 साल हो गए थे, पर उन्हें अभी तक एक भी औलाद नहीं हो सकी थी. लखनऊ के नामीगिरामी डाक्टरों का इलाज करवाया जा चुका था. हजारों रुपए के टैस्ट करवाए गए, पर सब फुजूल...

डाक्टरों ने हिना और फजल दोनों के टैस्ट की रिपोर्ट आने के बाद यही बताया था कि दोनों की जिस्मानी हालत बिलकुल ठीक नहीं है. हालांकि वे दोनों बच्चा पैदा करने में पूरी तरह से काबिल हैं, पर अगर फिर भी बच्चा नहीं हो रहा है तो सही समय का इंतजार करें. फजल के घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. वह घर में मंझला भाई था. बड़े भाई के 3 बच्चे थे, 2 बेटे और एक बेटी. फजल का एक छोटा भाई हैदर था, जिस का हाल ही में निकाह हुआ था.

फजल की कमाई का जरीया उस की आरा मशीन थी, जो घर से कुछ ही दूरी पर लगी हुई थी. उस पर इतना काम आता कि काम बंद करतेकरते ही रात के 9 भी बज जाते थे. तकरीबन 15 आरा मशीन पर नौकर लगे हुए थे, जो बड़ी ईमानदारी से काम करते थे.

पुराने लखनऊ में तिमंजिला मकान होना अपनेआप में बहुत बड़ी बात थी और चारपहियों की 2 गाडि़यां भी फजल के दरवाजे पर खड़ी रह कर शान बढ़ाती थीं. फजल के पास न तो काम की कमी थी और न ही पैसे की... उस की और हिना की जिंदगी में एक औलाद की कमी जरूर थी और यह कमी फजल को अब और भी खलने लगी, जब छोटे भाई हैदर के निकाह के साल के अंदर ही वह भी एक चांद जैसी बेटी का बाप बन गया.

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