Best Hindi Story : जानकी को मैं इसलिए भी ‘जानकीजी’ कह कर संबोधित करता था, क्योंकि वे मुझ से उम्र में 20 साल बड़ी थीं यानी मैं 35 साल का था और वे 55 साल की थीं. प्यार की पहल भी जानकीजी ने खुद की थी. उन्होंने ही मुझ से कहा था कि वे मुझे पसंद करती हैं और मैं जानकीजी के प्रेमजाल में फंस गया.
जानकीजी से मेरी पहली मुलाकात शहर के एक अस्पताल में तब हुई थी, जब मेरे पापा वहां कुछ दिनों के लिए भरती हुए थे. पापा की हालत काफी सीरियस थी, इसलिए मेरा मन बहुत अशांत था. मन को शांत करने की गरज से मैं वार्ड से बाहर वेटिंगरूम में आ कर बैठ गया.
वेटिंगरूम में पहले से बहुत सारे लोग मौजूद थे, जिन के मरीज वहां भरती थे. वेटिंगरूम के शोरशराबे के बीच मैं भी एक सीट पर जा कर बैठ गया. मन बहुत परेशान था, इतना परेशान कि कोई भी चेहरा देख कर मेरी परेशानी को पढ़ सकता था.
जानकीजी मेरे बगल वाली सीट पर बैठी थीं, इस का मुझे कोई अंदाजा नहीं था. मेरी बेचैनी को उन्होंने अच्छी तरह मेरे चेहरे से पढ़ लिया था.
‘‘आप का कोई भरती है यहां क्या?’’ जानकीजी ने मुझ से बात करने का सिलसिला शुरू किया.
‘‘जीहां, मेरे पापा भरती हैं. वे वार्ड नंबर 4 में हैं,’’ मैं ने पहली बार जानकीजी को नजर भर के देखा था.
‘‘घर से और कोई नहीं आया?’’
‘‘जी नहीं, घर में ज्यादा लोग नहीं हैं. जो हैं, उन के पास फुरसत नहीं है.’’
‘‘कोई नहीं, आजकल सभी का यही हाल है. मेरा पेशेंट वार्ड नंबर 5 में है. अगर आप को मेरी कैसी भी कोई हैल्प चाहिए, तो प्लीज बेझिझक मुझ से कह दीजिएगा,’’ जानकीजी ने मुझ से हमदर्दी जताई.
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