आंध्र प्रदेश के एक गांव आदिविकोट्टूरू में लोगों ने खेत में एक लावारिस लाश को देखा. पता चला कि वह कोई भिखारी था. चूंकि हर जगह कोरोना का डर फैला हुआ है, लिहाजा लोग उस भिखारी की लाश के पास जाने से हिचक रहे थे.

ऐसे में श्रीकाकुलम जिले के कासीबुग्गा में तैनात महिला सबइंस्पैक्टर के. श्रीषा ने उस लाश को कंधा दिया और 2 किलोमीटर तक पैदल ले जाने के बाद उस का अंतिम संस्कार कराया.

इस से पहले 26 जनवरी को भारत की पहली महिला फाइटर पायलट भावना कांत वायु सेना की झांकी के साथ परेड में नजर आई थीं, जबकि फ्लाइट लैफ्टिनैंट स्वाति फ्लाईपास्ट में शामिल हुई थीं.

देशभर में न जाने कितनी लड़कियां अपनेअपने फील्ड में नाम कमा रही हैं. इस में उन की वह पढ़ाई काम आती है, जो उन में गजब का जोश भर देती है. पर एक कड़वा सच यह भी है कि आज भी बहुत से मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए उस लिहाज से आजादी नहीं देते हैं, जितनी बेटों को दी जाती है.

2017 का राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी चिंता जाहिर करता है कि 15-18 आयु वर्ग में तकरीबन 39.4 फीसदी किशोरियां किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं जा रही हैं. इस की सबसे बड़ी सामाजिक बाधा यह है कि गांव हों या शहर, आज भी लड़कियों को बोझ समझा जाता है, जिनकी पढ़ाई पर क्यों खर्च किया जाए?

इसके अलावा जब कोई लड़की पढ़ने की जिद ठान लेती है तो समाज के तानों से उसे भेदा जाता है. तभी तो बहुत से मां-बाप अपनी लड़कियों को 10वीं या 12वीं तक की पढ़ाई कराते हैं और उसके बाद शादी करा देते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...