बोलचाल की भाषा में भेंगापन को आंखों का तिरछापन भी कहते हैं. अगर इस का समय पर पता न चले और इलाज न कराया जाए, तो बाद में इस का पूरी तरह ठीक होना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

लखनऊ के राजेंद्र अस्पताल के आंखों के जानेमाने डाक्टर सौरभ चंद्रा कहते हैं, ‘‘आंखों का भेंगापन या तिरछापन, जिस को अंगरेजी में सिक्विंट कहते हैं, ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र में आदमी और औरत को हो सकती है. अगर इस बीमारी का पता शुरू में ही चल जाए, तो इलाज आसान हो जाता है.’’

जब कभी आंख में चोट लगे या फिर एक समय पर एक चीज के 2 इमेज दिखाई दें, तो डाक्टर को एक बार आंख दिखा कर उस का चैकअप जरूर करा लेना चाहिए. छोटे बच्चों में इस बात का पता आसानी से नहीं लगता, इसलिए मातापिता को जागरूक रहने की जरूरत होती है.

जब भी बच्चा पढ़ने से जी चुराए या उस की आंखों में पानी आए और वह टैलीविजन देखते या पढ़ते समय आंख पर ज्यादा जोर देता हो, तो उसे डाक्टर के पास लाना चाहिए.

भेंगापन के लक्षण

डाक्टर सौरभ चंद्रा कहते हैं, ‘‘इस बीमारी में एक आंख से दूसरी आंख का तालमेल नहीं रहता है. इस के चलते एक आंख की देखने की दिशा और दूसरी आंख की देखने की दिशा में फर्क आ जाता है. इस बीमारी में दोनों आंखों के परदे पर एक ही समय में एक चीज का अलगअलग चित्र बन जाता है.

‘‘यह बीमारी 2 तरह की होती है. एक में सामने से देखने पर ही पता चल जाता है कि आंखों में भेंगापन है, जबकि  दूसरी में  सामने से  देखने में पता नहीं चलता है.’’

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