साल भर किन्नरों को नफरत और हिकारत से देखते रहने वाले लोगों की बैचेनी और दीवानगी का आलम यह था कि वे दोपहर से ही देश का यह इकलौता जुलूस देखने सड़कों पर अपने लिए जगह ढूंढने लगे थे जहां से नजर भर कर इसका लुत्फ उठाया जा सके. मौका था भोपाल में हर साल निकलने बाले भुजरियों या कजलियों के विसर्जन का, जिसे एक रिवाज की शक्ल में किन्नर ही अंजाम देते हैं. इस जुलूस में इस बार भी किन्नरों ने अपने हुस्न के ऐसे जलवे सड़कों पर बिखेरे कि देखने वाले दिल थामे रहे. किन्नरों की अदाएं फिल्मी हीरोइनों को भी मात कर रहीं थीं और वे रोज के मुकाबले खूबसूरत भी नजर आ रहे थे. इस खास जलसे के लिए किन्नर तैयारियां भी खास ही करते हैं, कुछ ब्यूटीपार्लर जाकर सजने संवरने पर हजारों रुपये खर्च करते हैं तो कई छांट छांट कर ऐसी सेक्सी ड्रेस पहनते हैं, जिनसे नाजुक अंग ढकें कम दिखें ज्यादा.

किन्नर, लोगों को लुभाने के अपने मकसद में कामयाब भी रहे. पुराने भोपाल के पीर गेट से लेकर कर्बला जहां भुजरियों का विसर्जन होता  है तक मनचलों का हुजूम इस जुलूस के पीछे पीछे ऐसे चला मानों इसे पूरा नहीं देखा तो जिंदगी बेकार है. बच्चे तो बच्चे बूढ़ों ने भी नौजवानों के साथ जमकर सीटियां बजाईं और किन्नरों के साथ ठुमके भी लगाए. लोग किन्नरों को नजदीक से देखने और छूने को इतने उतावले थे कि जुलूस के दौरान पुलिस वालों को कई दफा लाठिया भी उन पर भांजनी पड़ीं, जिस पर इन दीवानों ने कोई एतराज नहीं जताया.

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