2 अक्तूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से छुटकारा दिलाने का टारगेट रखा गया है. सभी राज्यों को 31 दिसंबर, 2018 तक शौचालय बनाने का काम पूरा करना है. इस में देश के सभी राज्यों में बिहार ही सब से फिसड्डी है. टारगेट पूरा करने के लिए अब 15 महीने में राज्य में एक करोड़, 40 लाख शौचालय बनवाने होंगे, जो दूर की कौड़ी ही लग रहा है.

देश में शौचालय बनाने की राष्ट्रीय औसत 67 फीसदी है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 32.5 फीसदी की रफ्तार से रेंग रहा है. देश के 192 जिले खुले में शौच से छुटकारा पा चुके हैं और इन में बिहार का एक भी जिला शामिल नहीं है.

शौचालय बनाने की अगर यही रफ्तार रही, तो बिहार साल 2022 तक भी खुले में शौच से नजात नहीं पा सकेगा.

साल 2019 तक राज्य में एक करोड़, 60 लाख शौचालय बनाने का टारगेट रखा गया है. इस को हासिल करने के लिए हरेक दिन 25 हजार शौचालय बनाने की जरूरत है. फिलहाल राज्य में रोजाना 8 हजार शौचालय ही बन पा रहे हैं.

बिहार में अभी तक महज 21 लाख, 85 हजार शौचालय ही बन सके हैं. यह राज्य सरकार की लापरवाही और नाकामी की कहानी बयां कर रहे हैं.

बिहार के पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा का दावा है कि शौचालय बनाना और खुले में शौच पर रोक लगाना सरकार की प्राथमिकता है और इसे तय समय के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. राज्य की एक हजार पंचायतें खुले में शौच से छुटकारा पा चुकी हैं.

इस साल 4,555 पंचायतों में पूरी तरह शौचालय बनाने का काम हो जाएगा. साल 2018-19 में 2,596 पंचायतों और 2019-20 में 1,240 पंचायतों को पूरी तरह से खुले में शौच से छुटकारा दिला दिया जाएगा.

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