आप ने आतेजाते अकसर लोगों को रास्ते में, आम सड़क के किनारे खड़ी दीवारों या आसपास की झाडि़यों को गीला करते देखा होगा. रात में चलते वक्त ये नजारे देख आप की नजरें शर्मसार हो कर अपनेआप झुक जाती हैं. हैरानी की बात तो यह है कि जिन्हें शर्म आनी चाहिए वे बेशर्म बन कर दीवारों और पेड़पौधों को बिना हिचक के खुलेआम गीला करते हैं जबकि पब्लिक सिर और नजरें झुकाए शर्म के मारे झुक कर चलती है.

बात अगर पूरे भारत की की जाए तो खुलेआम ऐसी हरकत करने वाले पुरुष ही हैं जो इस तरह बेशर्म हो कर आसपास गंदगी फैला रहे हैं और वातावरण को भी गंदा कर रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यह नजारा आप को लगभग शहर के हर मैट्रो पिलर या फ्लाईओवर के नीचे गंदगी और बदबू के साथ देखने को मिल जाएगा.

हद हो गई

राह में चलते वक्त तेजी से मस्ती में आप अपने कदम आगे बढ़ाते हैं. सिर घुमाते ही दाहिनी तरफ देखते हैं एक व्यक्ति को जो लगा है झाडि़यों को हराभरा करने में, यह देख आप की नजर अचानक से ठिठक जाती है और आप नाक की सीध में तेज कदमों के साथ चलने लगते हैं. यह क्षणभर की शर्मिंदगी उस व्यक्ति को नहीं होती जो अपनी हरकत से दूसरों को असहज महसूस करा रहा है, उलटे राहगीर शर्मसार हो कर गरदन झुकाए रास्ता पार करता है. साथसाथ गंदगी, मक्खियां और बदबू का सम्मिश्रण भी राहगीरों को परेशान करता है. यह हालत दिल्ली की ही नहीं बल्कि देश के लगभग हर छोटेबड़े शहर की है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...