आज भी "मौत" के बाद अंधविश्वास से घिरे लोग चाहते हैं कि हमारे परिजन पुन: जिंदा हो जाएं. इसके लिए अनेक तरह का अंधा प्रयास किया जाता हैं. जोकि सीधे-सीधे अंधश्रद्धा में तब्दील हो जाता है.

इससे आज की आधुनिक शिक्षा व्यवस्था, जागरूकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के निकट ऐसी ही घटना घटी. जिसमें एक युवक की मौत के बाद घंटों उसके जीवित होने का अंधा प्रयास किया गया और निरंतर प्रार्थना चलती रही लोगों की समझाइश भी काम नहीं आई और यह प्रयास का ढोंग दूर-दूर तक चर्चा का सबब बन गया.

और एक दफा पुनः साबित हो गया कि अंधविश्वास और ढोंग में, हमारा समाज किस तरह अभी भी पूरी तरह शिकंजे में है.

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अंधविश्वास के साये में..

ऐसी ही कुछ घटनाएं हाल ही में छत्तीसगढ़ में घटित हुई हैं. जो चर्चा का मुद्दा बनी हुई है.

दरअसल, ऐसी घटनाएं कभी-कभी हमारे आसपास घटित होती हैं और लोगों का अंधविश्वास सर चढ़कर बोलने लगता है. मगर देखते ही देखते सच्चाई जब सामने आती है तो "सच "स्वीकार करना ही पड़ता है.

छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर स्थित तखतपुर शहर में मनियारी नदी में डूब एक युवक की मौत हो गई. उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया वहां परिजन पहुंच गए और घंटो " प्रार्थना" और दूसरे तरीके से युवक को फिर जीवित करने की कोशिश की जाने लगी.चिकित्सक और स्टाफ उन्हें समझाता रहा कि युवक की मौत हो चुकी है.

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