आज भी सैकड़ों साल पहले कि अंधविश्वास, रूढ़िवादिता के कारण लोगों की जान जा रही है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला में एक नाबालिग़  रुद्र की नर बलि की घटना से यह साबित हो जाता है कि छत्तीसगढ़ में अभी भी किस तरह अशिक्षा के कारण, लोग अंधविश्वास में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं और मासूम बालक की हत्या, खून से अपने हाथ रंग  रहे हैं .

जी हाँ,नाबालिग रुद्रनारायण देशमुख की हत्या मामले में यह चौंकाने वाला सनसनीखेज खुलासा पुलिस ने किया है.पुलिस के  अनुसार  रुद्र की हत्या नहीं एक “नर बलि” थी. अशिक्षा से घिरे अंधविश्वास के फेरे में हत्यारों ने टोना-टोटका के चक्कर में पड़, ढेर सारा पैसा कमाने के लिए अपने ही मासूम रिश्तेदार की हत्या  कर दी थी. पुलिस ने जानकारी दी है कि हत्यारों के अंदर अंधविश्वास इस कदर भरा हुआ था कि उन्होंने अपने ही दूर के रिश्तेदार , एक बच्चें की जान ले ली है.

पुलिस ने जब इस मामले में हत्या के आरोपी पंचुराम देशमुख व धनराज नेताम को गिरफ्तार किया तो पूरे मामले का खुलासा हो गया . पंचुराम देशमुख इस नरबलि कांड  मामले का मुख्य आरोपी बनाया गया  है. वहीं मृतक बालक रुद्र पंचुराम  का  साला था. रुद्र की लाश पुलिस अंडा थाना क्षेत्र के आलबरस गाँव में जली अवस्था मिली थी. इस नरबलि घटना के खुलासे के बाद यह सिद्ध हो गया है कि छत्तीसगढ़ किस तरह शिक्षा एवं अंधविश्वास के मकड़जाल में अभी भी सांसे ले रहा है.

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अंधविश्वास को लेकर जन चर्चा उफान पर

पुलिस ने जब मामले की पड़ताल शुरू की तो 48 घंटे के भीतर नरबलि के इस हत्याकांड  के रहस्य से पर्दा उठ गया.  दुर्ग जिला सहित छत्तीसगढ़ में यह जन चर्चा का विषय बन गया कि कैसे आज भी अंधविश्वास फैला हुआ है.  अशिक्षित आदमी पैसों के लिए किस तरह अपनों की ही हत्या कर सकता है.आज भी लोग अंधविश्वासी हैं कि वे नर बलि जैसी घटना को अंजाम देने में भी गुरेज  नहीं  कर रहें  हैं.

पुलिस के अनुसार  हत्या के मामले में गिरफ्तार धनराज नेताम ने अपने मित्र पंचुराम देशमुख को “फांसी की रस्सी” से पूजा पाठ कर पैसा झड़ने की बात बताई थी और उसे हत्या के लिए प्रेरित किया था पंचू राम को इसके बाद रुपए मिलने की बड़ी आशा थी. इस जानकारी के बाद पंचु टोना-टोटका के जरिए पैसा कमाने के चक्कर में पड़ गया था था.

वह कई दिनों तक फांसी की रस्सी की जुगाड़ में लगा रहा.  रस्सी  मिलने उसने अपने रिश्तेदार नाबालिग साले रुद्र की हत्या की योजना बनाई

लाश के पास से मिले साक्ष्य को परिजनों से पहचान कराई गई. परिजनों लापता रुद्र नारायण देशमुख के तौर पर ही लाश की पहचान की. पूछताछ में पता चला की  पंचु के साथ ही  मडई मेला घुमने के लिए  के गया  था.

हत्या के बाद उड़ गए होश

दोनों आरोपियों ने हत्या के बाद फांसी की रस्सी से साधना प्रारंभ की, मगर हाथ कुछ नहीं आया उसके बाद दोनों के होश उड़ गए. इधर पंचुराम घटना के बाद गायब था. पुलिस ने शक के आधार पर पंचु की तलाश शुरू की.

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पुलिस को पड़ताल के दौरान जानकारी मिली कि पंचुराम धमतरी जिले में बोराई गाँव में देखा गया है. पुलिस ने वहाँ  दबिश दी और पंचुराम  पुलिस गिरफ्त में आ गया. पंचुराम  से पूछतात में उसकी इकबालिया बयान में खुलासा हुआ कि इस  नरबलि कांड  में उसका साथी धनराज नेताम भी शामिल है. पंचुराम  ने बताया कि धनराज नेताम से उसकी दोस्ती कुछ  साल पहले हुई थी.

धनराज ने धन  कमाने का यह तरीका उसे  बताया था. उसने कहा था कि “फांसी की रस्सी” लाकर दोगो  तो मैं  तुम्हें लखपति, करोड़पति बना सकता हूँ . इस तरह पंचूराम धनराज के झांसे में आ गया और  रुद्रनारायण देशमुख (15वर्ष)  की हत्या कर अपने हाथ, अपने ही रिश्तेदार के बच्चे के खून से रंग लिए . छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस ने आरोपी के पास घटना  मे प्रयुक्त रस्सी, कागज अन्य समान जब्त कर लिया है.

इस घटना ने  छत्तीसगढ़ के जनमानस  को झकझोर दिया  है  और यह  विचारने को मजबूर कर दिया कि आधुनिक युग मेकुछ  लोग ऐसे भी हैं जो अंधविश्वास के फेर मे पढ़कर अपना और मासूमों का जीवन बर्बाद कर देते  हैं. दुर्ग पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया है.

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