साल 2008 की बात है. गरमी का मौसम था. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के रामपुर में एक लड़की का शादी समारोह चल रहा था. लड़की को ब्याहने हाजीपुर गांव से बरात आई थी. विवाह का संगीत बज रहा था और बरात के साथ चल रहे लोग फायरिंग कर खुशी का इजहार कर रहे थे.
द्वाराचार के बाद सजाधजा दूल्हा सुनील वर्मा जयमाला कार्यक्रम में जाने की तैयारी में था कि शादी समारोह में फायरिंग कर रहे एक लड़के की लापरवाही से एक गोली दूल्हे के सीने में लग गई. दूल्हे को आननफानन अस्पताल ले जाया गया जहां उस की मौत हो गई.
इसी तरह की एक घटना मध्य प्रदेश के गाडरवारा इलाके में भी हुई थी. इस में जयमाला स्टेज पर दूल्हादुलहन की मौजूदगी में नशे में धुत्त रिश्तेदारों द्वारा पिस्टल से हवाई फायर किए जा रहे थे. इसी हवाई फायर से जयमाला स्टेज पर मौजूद दूल्हे की एक रिश्तेदार आयुषी की गोली लगने से मौत हो गई. 21 साला आयुषी जबलपुर में इंजीनियरिंग की छात्रा थी.
खुशी मनाने के चक्कर में फायरिंग से होने वाली ये घटनाएं बताती हैं कि आज भी हम दिखावे के नाम पर कैसीकैसी बेहूदा परंपराओं को निभा रहे हैं. समाज के हर क्षेत्र में फायरिंग की ऐसी खूनी परंपराएं बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं.
मौजूदा दौर में शादीब्याह, लग्न, फलदान, सगाई, जन्मदिन और दूसरे तमाम समारोहों में फायरिंग कर के खुशी का इजहार किया जाता है. इन कार्यक्रमों में नशे में धुत्त रहने वाले लोग जोश में होश खो कर खुशियों के पलों को मातम में बदल देते हैं.