30 साला छाया नागले भोपाल के न्यू मार्केट इलाके के एक होटल में रोटी बनाने का काम कर के अपने 2 बच्चों की परवरिश कर रही थी. अब से तकरीबन 3 साल पहले तक छाया की जिंदगी भी आम औरतों की तरह गुलजार थी. हालांकि उस के पति राजेश की आमदनी कोई खास नहीं थी, पर उस से घर की जरूरतें तो पूरी हो ही जाती थीं.

साल 2013 में राजेश की मौत ने छाया को हिला दिया था. तब उसे समझ आया था कि एक विधवा की जिंदगी कितनी परेशानियों से भरी होती है.

इंदौर छोड़ कर छाया भोपाल आई, तो टीटी नगर इलाके की एक झुग्गी बस्ती में रहने लगी. जमापूंजी खर्च हो चली थी, इसलिए छाया नौकरी के लिए भागादौड़ी करने लगी. ऐसे में होटल में रोटी बनाने का काम उसे मुफीद लगा, जिस से गुजारे लायक कमाई हो जाती थी.

धीरेधीरे छाया पति की मौत का दुख भूल चली थी, पर तनहाई में जब उस की याद आती थी, तो साथ ही कई दूसरी जरूरतें भी सिर उठाने लगती थीं. जब से उस की जिंदगी में अनजान शख्स राम आया था, तब से मन भी बेचैन रहने लगा था.

कहने की जरूरत नहीं है कि उसे राजेश से प्यार हो गया था, फिर धीरेधीरे यह प्यार परवान चढ़ा.

जब राम पर पूरी तरह भरोसा हो गया, तब छाया जिंदगी की एक नई शुरुआत के सपने देखने लगी. लेकिन जाने क्या हुआ कि 15 मई, 2016 की रात तकरीबन 11 बजे छाया ने खुद पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली.

तुरंत पड़ोसी जमा हो गए और 100 नंबर पर फोन कर के अंबुलैंस बुला कर इलाज के लिए उसे अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान छाया ने दम तोड़ दिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...