आजकल इंटरनैट का साधन आम आदमियों का अपना गुस्सा निकालने का सहज साधन बन गया है. दिल्ली, मुंबई एयरपोर्टों पर अब बहुत अधिक भीड़ होने लगी है और लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह वायदा खूब याद आ रहा है कि वे देश के रेलवे स्टेशनों के एयरपार्टों जैसा थानेदार क्या देंगे. लीग वह रहे हैं कि एयरपोर्टों और स्टेशनों में बराबर की भीड़, पीक ने निर्माण, बाहर गाडिय़ों की अफरातफरी, धक्कामुक्की बराबर है. स्टेशन तो एयरपोर्ट नहीं बन सके पर एयरपोर्ट भारतीय स्टेशन जरूर बन गए है.

नरेंद्र मोदी सरकार को बधाई.

आम हवाई चप्पल पहनने वाला हवार्ई यात्रा तो आज भी नहीं कर रहा पर हवाई चप्पल ही ऐसी मंहगी और फैशेनबेल हो गई है कि गोवा, चैन्नै, बंगलौर में कितने ही रबड़ की ब्राडेंट चप्पलें पहने भी दिख जाएंगे. वह वादा भी भी उन्होंने पूरा कर दिया.

सोयासिटों के लिए सुविधा के नाम पर कुछ स्टेशन ठीकठाक हुए है, वंदे मातरम नाम की कुछ ट्रेनें चली हैं पर आज अब किराए इतने बढ़ा दिए गए हैं कि एक  बार ट्रेन में जा कर 4 दिन खराब करना और 4 दिन की मजूरी खराब करना से हवाई यात्रा करना ज्यादा सस्ता है. रेलों के बढ़ते दाम, हवाई यात्रा के घटते दामों ने यह वादा भी पूरा कर लिया.

वैसे भी देश की जनता हमेशा वादों को सच होता ऐसे ही मानती रही जैसी वे मूॢत के आगे मन्नत को पूरी आगे मानते रहे हैं, 4 में से 1 काम तो हरेक का अपनी मर्जी का अपनेआप हो ही जाता है बीमार ठीक हो जाते हैं, देरसबेर छोटीमोटी नौकरी लग ही जाती है, लडक़ी को काला अनपढ़ा सा पति भी मिल जाता है, 10-20 साल बाद अपना मकान बन ही जाता है, 10 में से 2-3 के धंधे भी चल निकलते हैं और इन सब को मूॢत की दया समझ कर सिर झुकाने वाले, अंटी खाली करने वालों, चुनावी में से कुछ को भी सही होता देख कर वोट डाल ही आते हैं.

जहां तक हवाई यात्रा का सवाल है, यह देश के लिए जरूरी है, जैसे आज बिजली और उस से चलने वाली चीजें जैसे फ्रिज, कूलर, पंखा, बत्ती, एसी, टीवी मोबाइल, लैटपटौप आज हरेक के लिए जरूरी है, वैसे ही हवाई यात्रा हरेक के लिए जरूरी है. पहले जो शान हवाई यात्रा में रहती थी, जब टिकट आज के रुपए की कीमत के हिसाब से मंहगे थे, वह अब कहां. उस के रुपए की कीमत वे हिसाब से मंहगे थे, वह अब कहां. उस के लिए अमीरों ने प्राईवेट जेट रखने शुरू कर दिए है. नरेंद्र मोदी भी या तो 8000 करोड़ के प्राईवेट जेट में सफर करते हैं या 20-25 किलोमीटर की यात्रा हो तो हैलीकौप्टर में आतेजाते हैं. हवाई चप्पल पहनने वाली जनता इस शान की बात भूल जाए.

हवाई यात्रा जरूरी इसलिए है कि देश बहुत बड़ा है और लोग गांवों से शहरों की ओर जा रहे हैं. उन्हें जब भी गांव वापिस जाना होता है तो उन के पास 7-8 दिन रेल के सफर के नहीं होते. वे यह काम हवाई यात्रा से घंटों में कर सकते हैं.

दुनिया भर में हवाई यात्रा अब रेल यात्रा की तरह हो गई है. ट्रेनें और पानी के जहाज तो अब खास लोगों के लिए रह जाएंगी जिन में होटलों जैसी सुविधाए होंगी. लोग चलते या तैरते होटलों का मजा लेंगे और हवाई यात्रा बस काम के लिए करेंगे.

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