बिहार के जिला मुजफ्फरपुर के थाना अहियापुर की कोल्हुआ बजरंग विहार कालोनी के एक  निर्माणाधीन मकान में 23 अक्तूबर, 2016 की रात मुरौल प्रखंड में तैनात मनरेगा की जूनियर इंजीनियर सरिता देवी को कुरसी से बांध कर आग के हवाले कर दिया गया था. 24 अक्तूबर, 2016 की सुबह मकान मालिक और मोहल्ले वालों की सूचना पर पुलिस वहां पहुंची तो उसे एक जोड़ी लेडीज चप्पलें, अधजले कपड़े, पर्स, रूमाल, 4 गिलास, मिट्टी के तेल का डिब्बा और हड्डियों के अवशेष मिले. सरिता की मां कुसुम ने अधजली चप्पलें देख कर उस की पहचान की थी. सरिता सीतामढ़ी के सोनबरसा की रहने वाली थी. उस का विवाह नेपाल बौर्डर पर स्थित गांव कन्हौली फूलकाहां के रहने वाले विजय कुमार नायक से हुआ था, जिस से 2 बेटे हैं. पति से संबंध अच्छे  न होने की वजह से सरिता अलग रहती थी. पति गांव में रह कर खेती करता था और सरिता नौकरी कर रही थी. पति को उस का नौकरी करना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए वह उसे नौकरी छोड़ कर गांव में रहने के लिए कहता, लेकिन सरिता को नौकरी छोड़ कर गांव में रहना ठीक नहीं लगता था. वह बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए नौकरी करना चाहती थी. उस का बड़ा बेटा ध्रुव दरभंगा में पौलिटैक्निक कर रहा है तो छोटा बेटा आर्यन उस के साथ रह कर पढ़ रहा था. सरिता पिछले 3 सालों से मुरौल प्रखंड में जूनियर इंजीनियर थी. बजरंग विहार कालोनी में वह विजय गुप्ता के मकान में किराए पर रहती थी. विजय मनरेगा की योजनाओं का एस्टीमेट बनाता था.

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