आज के समय में लड़कियों के साथसाथ औरतों की सिक्योरिटी समाज में एक बड़ा मुद्दा है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि आज लड़कियां स्कूल के समय से ही लड़कों से बराबरी करने के लिए मैदान में उतर रही हैं. वे स्कूल के बाद कालेज और फिर आगे की पढ़ाई के लिए गांवघर से दूर बड़े शहरों में जाने लगी हैं. ऐसे में उन के सामने खुद की सिक्योरिटी करना अहम हो गया है.
यह मुमकिन नहीं है कि हर जगह पुलिसप्रशासन लड़कियों की सिक्योरिटी के लिए मौजूद रहे. ऐसे में जरूरी है कि लड़कियों को सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग दी जाए, जिस से वे खुद की हिफाजत कर सकें.
अब सैल्फ डिफैंस एक कैरियर बन गया है. सैल्फ डिफैंस सीखी लड़कियों को पर्सनल सिक्योरिटी और हिफाजत के दूसरे कामों में नौकरी मिल जाती है.
सैल्फ डिफैंस सीखने वाली तमाम लड़कियों के लिए जरूरी है कि उन की बौडी फिट और मजबूत रहे. इस के लिए लड़कियों और औरतों ने जिम जाना शुरू कर दिया है. ऐसे में जिम ट्रेनर के रूप में लड़कियों के लिए नौकरी के नए रास्ते खुल गए हैं. ज्यादातर जिम में महिला फिटनैस टे्रनर की जरूरत बढ़ गई है. यही वजह है कि हर छोटेबड़े शहर में ऐसे जिम की तादाद तेजी से बढ़ रही है.
आज के समय में माल, होटल, नाइट क्लब में बाउंसर को तैनात किया जाने लगा है. इस के अलावा सैलेब्रिटी की सिक्योरिटी के लिए भी महिला बाउंसरों का इस्तेमाल होने लगा है. छोटे शहरों और गांव की लड़कियों को इस में तरजीह मिलती है. वे मजबूत कदकाठी की होती हैं. साथ ही, इस में बहुत ज्यादा पढ़नेलिखने की जरूरत भी नहीं होती है.
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बन गया करियर
गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में सैल्फ डिफैंस के क्षेत्र में काम करने वाली सामाजिक संस्था रैड ब्रिगेड ट्रस्ट ने इस गांव की कुछ लड़कियों को अपने सैल्फ डिफैंस कार्यक्रम से जोड़ा है.
गांव मरदहा की रहने वाली प्रियंका भारती और सुष्मिता भारती ने 2 साल सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग ली. अब वे खुद गांव की दूसरी लड़कियों को ही नहीं, बल्कि दूसरे शहरों में जा कर भी वहां की लड़कियों को सैल्फ डिफैंस सिखा रही हैं.
वे कहती हैं कि सैल्फ डिफैंस सीखने के बाद गांव में उन का सम्मान बढ़ गया है. किसी स्कूल में 2 से 3 घंटे सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग देने पर उन्हें 2,000 रुपए से ले कर 3,000 रुपए मिल जाते हैं.
प्रियंका और सुष्मिता दोनों ने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी है. प्रियंका बीटीसी करने के बाद स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का काम करने की सोच रही हैं. वहीं सुष्मिता बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे पढ़ कर कुछ नया काम करना चाहती हैं. वे कहती हैं कि रैड ब्रिगेड ट्रस्ट वाले विदेशों से सैल्फ डिफैंस की महिला ट्रेनर को बुलाते हैं, जिन से सैल्फ डिफैंस की नई तकनीकों का पता चलता है. विदेशों में लड़कियों को यह काम स्कूली शिक्षा के साथ ही सिखाया जाता है, जिस से वहां पर छेड़खानी जैसी वारदातें कम होती हैं.
इसी तरह जसमीन पथेजा ने ब्लैंक नौयज गु्रप बनाया है. निशा सूसन ने पिंक चड्ढी गु्रप बनाया. इसे राम सेना के कट्टर हिंदूपंथियों से लड़ने के लिए बनाया गया है, जो औरतों को कमतर मानते हैं. गुलाबी गैंग को संपत पाल देवी ने खड़ा किया था, जो अफसरों से उलझ जाती हैं.
मध्य प्रदेश की माना मंडलेकर सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग दे रही हैं, ताकि लड़कियां आराम से स्कूल आजा सकें. टिमासी के कालेज में पढ़ी माना को 12 किलोमीटर दूर स्कूल में जाना होता था और रास्ते में गांवों के लड़के बेहूदा इशारे करते थे. कईर् बार तो बलात्कार भी होते हैं, जिन में लड़कियों को चुप रह जाना पड़ता है.
हरिद्वार के पास भारती सैनी गांव रानी माजरा में लड़कियों को सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग दे रही हैं.
पुणे का मार्शल आर्टिस्ट शिफूजी शौर्य भारद्वाज सैकड़ों लड़कियों को एकसाथ टे्रनिंग देते हैं. वे पैन, हेयर क्लिप, नेल कटर, आईडी कार्ड, सैलफोन से अपना बचाव कैसे कर सकते हैं, यह तक सिखाते हैं. उन्होंने 40 लाख लड़कियों को मिशन प्रहार में ट्रेनिंग दी है. उन का कहना है कि लोग लड़कियों को कहते हैं ‘बेबस’, हम कहते हैं ‘अब बस’.
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लेडी सिक्योरिटी गार्ड
इस तरह की संस्थाओं से सैल्फ डिफैंस की ट्रेनिंग पाई खूबसूरत और फिट बौडी लड़कियों के लिए नौकरी के तमाम मौके आ रहे हैं. इस की सब से बड़ी वजह है कि अब समाज ऐसी लड़कियों को बढ़ावा देने लगा है. तमाम सैलेब्रिटी भी अपनी हिफाजत के लिए लेडी सिक्योरिटी गार्ड रखने का लगे हैं. इस के अलावा माल, सिनेमाघर, किसी इवैंट के दौरान भी इन की जरूरत महसूस होती है. प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड को पहले इज्जत की नजरों से नहीं देखा जाता था, पर अब ऐसा नहीं है.
महिला बाउंसरों की तैनाती उन रिहायशी जगहों पर भी होने लगी है, जहां सिक्योरिटी का ज्यादा पुख्ता इंतजाम करना पड़ता है. इस की सब से बड़ी वजह पुलिस व्यवस्था से लोगों का भरोसा उठना है. आम लोगों को लगता है कि शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के बाद अब हिफाजत के इंतजाम भी खुद ही करने चाहिए. तमाम बैंक, ज्वैलरी शोरूम और पैसे का कारोबार करने वाली कंपनियां पैसे के लेनदेन का काम प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों के भरोसे कर रही हैं.
इस के चलते ऐसी एजेंसियों की मांग काफी बढ़ गई है. इन में भी साधारण सिक्योरिटी गार्ड की जगह महिला बाउंसरों का इस्तेमाल बढ़ गया है.
डाइट भी सुधार रही हैं
हैल्थ मैनेजमैंट का कारोबार देख रही डाइटीशियन सुरभि जैन कहती हैं, ‘‘बाउंसर बनने या बौड़ी फिटनैस वाली लड़कियों के लिए जरूरी होता है कि उन का खानपान सही से हो. इस के लिए ऐसे लोगों को एक डाइट चार्ट बना कर उस पर अमल करना चाहिए.
‘‘बौडी बनाने की दवाएं लेने से ज्यादा जरूरी है कि सही खानपान से बौडी बनाएं. सुबह दूध और अंडे लेने चाहिए. इस के डेढ़ घंटे बाद प्रोटीन शेक वाला दूध लेना चाहिए. दोपहर के भोजन में रोटी, हरी सब्जी, दाल, चिकन, दही लेना ठीक रहेगा. शाम को नाश्ते में उबले आलू और जूस पीना चाहिए. प्रोटीन शेक के बाद रात 9 बजे 100 ग्राम पनीर, सब्जी, सलाद और दूध लेना चाहिए.’’
फिटनैस के लिए ऐक्सपर्ट के कहे मुताबिक ही जिम में ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी होता है.
सुरभि जैन कहती हैं, ‘‘डाइट के साथसाथ खूबसूरत दिखने के लिए अब लड़कियां सर्जरी कराने से किसी तरह का डर या संकोच नहीं करती हैं. अनचाहे बालों को हटवाने से ले कर वे आपरेशन के जरीए फैट निकलवाने की कोशिश भी करती हैं. चेहरे पर कोई दागधब्बा है या ठुड्डी सही आकार में नहीं है तो उसे भी सही कराने की कोशिश करती हैं.
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‘‘यही वजह है कि अब कौस्मैटिक सर्जन की तादाद बढ़ने लगी है. केवल लड़कियां ही नहीं, शादीशुदा औरतें भी खुद को फिट रख रही हैं.’’