लोग जितनी कीमत का पान मसाला रोज खा जाते हैं उस से कम खर्च में अपने घर की औरतों के लिए माहवारी में इस्तेमाल होने वाले सैनेटरी पैड खरीद सकते हैं.

पान मसाला खाने से सेहत को नुकसान होता है, जबकि सैनेटरी पैड का इस्तेमाल कर के घर की औरतों को अंदरूनी बीमारियों से बचाया जा सकता है. पान मसाले का प्रचार इस के सेवन को बढ़ाने का काम करता है.

दिल्ली प्रैस एक ऐसा प्रकाशन समूह है जो अपनी किसी भी पत्रिका में पान मसाले का प्रचार नहीं करता है. जब देश में तंबाकू मिले पान मसालों का प्रचार धड़ल्ले से होता था, तब भी दिल्ली प्रैस समूह पान मसाले का बिलकुल प्रचार नहीं करता था.

कोर्ट के बहुत सारे फैसले और बैन भी पान मसाले को बिकने से नहीं रोक पाए हैं. इस की सब से बड़ी वजह पान मसाले का होने वाला प्रचार है. सैरोगेट इश्तिहारों के जरीए समाज में इन का धड़ल्ले से प्रचार हो रहा है.

सब से बड़ी बात यह है कि समाज के हीरोहीरोइन समझे जाने वाले चेहरे और समाज को सही राह दिखाने वाला चौथा स्तंभ मीडिया भी इस प्रचार में बराबर का कुसूरवार है.

कानून ने तंबाकू मिले पान मसालों के प्रचार पर रोक लगाई है. अब पान मसाले का प्रचार करने वाले एक जगह छोटा सा ‘तंबाकू रहित’ लिख कर उसी पाउच का प्रचार करते हैं जिस में तंबाकू मिला पान मसाला बेचा जाता है.

कानून से बचने के लिए सैरोगेट इश्तिहार का सहारा केवल पान मसाले के प्रचार में ही नहीं, बल्कि शराब के इश्तिहार में भी दिखता है.

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