जिस तरह अमरबेल पेड़पौधों का रस चूस कर हमेशा हरीभरी नजर आती है, ठीक उसी तरह अंधविश्वास और पाखंड भी समाज को खोखला कर अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है. 21वीं सदी और डिजिटलाइजेशन के मौडर्न जमाने में अंधविश्वास खत्म होने के बजाय नएनए रूपों में देखनेसुनने को मिल रहा है. मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक कथावाचक का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिस में पंडित प्रदीप मिश्रा औरतों और बच्चों को सीख दे रहे हैं कि बच्चों को पढ़ाईलिखाई की टैंशन लेने की जरूरत नहीं है. सालभर मस्ती करो, मोबाइल में गेम खेलो और इम्तिहान के दिन एक बेलपत्र पर शहद लपेट कर शिवलिंग पर चिपका दो.

बस, इतना करने भर से ही भगवान शिव की कृपा से बच्चे बिना कुछ पढ़ेलिखे इम्तिहान में पास हो जाएंगे. कथावाचक कहते हैं कि 3 पत्ती वाले बेलपत्र के बीच वाली पत्ती में शहद लगा कर शिवलिंग पर चिपकाने से बिना मेहनत के भी इम्तिहान में कामयाबी मिल जाती है. लगता है कि यह पंडित प्रदीप मिश्रा का खुद पर आजमाया हुआ नुसखा है, जिस की बदौलत वे ग्रेजुएट हो कर लोगों को धार्मिक कथा सुना कर लाखों रुपए जनता की जेब से ढीले कर रहे हैं.

कथावाचक प्रदीप मिश्रा के इस वीडियो पर लोग तरहतरह के मजेदार कमैंट कर रहे हैं. एक यूजर ने कमैंट किया, ‘बाबाजी, सैलरी में इंक्रीमैंट पाने के लिए भी यह तकनीक काम करेगी क्या?’ एक दूसरे यूजर लिखते हैं, ‘अगर बेलपत्र के बीच की पत्ती से इम्तिहान में कामयाबी मिल सकती है, तो लैफ्टराइट की पत्तियों पर शहद लगाने से तनख्वाह में बढ़ोतरी होती होगी.’ वहीं एक यूजर ने इस पर मजेदार कमैंट करते हुए लिखा, ‘अगर पहले यह नुसखा मिल जाता तो हम भी कोई बड़ी डिगरी हासिल कर लेते.’ एक यूजर ने लिखा, ‘बाबाजी, जब मैं यूपीएससी इम्तिहान की आखिरी कोशिश कर रहा था, तो आप कहां थे.’ एक यूजर लिखते हैं, ‘अगर पेपर लीक हो जाए तो बेलपत्र कैसे चढ़ाना है?’ एक यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा, ‘लगता है, सारे कामयाब उम्मीदवार यही नुसखा अपनाते हैं,

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