आज के दौर में किसानों के सामने तमाम समस्याएं हैं. इन में खास समस्या है जमीन की उर्वरा शक्ति का कम होना और ईंधन की दिनबदिन होती कमी. इन दोनों खास समस्याओं का सरल और आसान समाधान है गोबर गैस प्लांट. गोबर में काफी मात्रा में ऊर्जा होती है, जिसे गोबर गैस प्लांट की मदद से गोबर गैस बना कर निकाला जा सकता है. इस प्लांट से बनी हुई गैस से चूल्हा जलाया जा सकता है और इसे रोशनी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से कम हार्स पावर का इंजन भी चला सकते हैं. गोबर गैस प्लांट से निकला गोबर (सलरी) पूरी तरह सड़ा होता है. यह एक बढि़या खाद है. इस के इस्तेमाल से जमीन की उपजाऊ ताकत बढ़ती है, दीमक नहीं लगती है और खरपतवार के बीज भी नष्ट हो जाते हैं.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने गोबर द्वारा चलने वाले जनता मौडल के बायोगैस प्लांट को सुधार कर ऐसा डिजाइन तैयार किया है, जो ताजे गोबर से चलता है. इस नए डिजाइन के प्लांट का गोबर डालने का पाइप 4 इंच की जगह 12 इंच चौड़ा है, ताकि इस में गोबर बिना पानी के सीधे ही डाला जा सके.
गोबर की निकासी की जगह काफी चौड़ी रखी गई है, जिस से गोबर गैस के दबाव से खुद बाहर आ सके. प्लांट से निकलने वाला गोबर काफी गाढ़ा होता है, जिसे कस्सी की सहायता से खेत में डाला जा सकता है. यह बेहतरीन खाद का काम करता है.
पहले गोबर गैस प्लांट बनाने के बाद उस में गोबर व पानी का घोल (1:1) डाल दिया जाता है. उस के बाद गैस की निकासी का पाइप बंद कर के 10-15 दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है. जब गोबर की निकासी वाली जगह से गोबर आना शुरू हो जाता है, तो प्लांट में ताजा गोबर बिना पानी के प्लांट के आकार के मुताबिक सही मात्रा में हर रोज 1 बार डालना शुरू कर दिया जाता है और गैस को जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है. निकलने वाले गोबर को उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.