तकरीबन 6 साल पुरानी बात है. दिल्ली प्रैस की लोकप्रिय पत्रिका ‘गृहशोभा’ ने मई (प्रथम), 2011 अंक खेल जगत से जुड़ी 15 महिलाओं की कामयाबी के नाम समर्पित किया था. तब क्रिकेट की शानदार खिलाड़ी मिथाली राज से मिलने का मौका हासिल हुआ था. अपने इंटरव्यू में उन्होंने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों और बीसीसीआई को ले कर बड़ी अहम बात कही थी, ‘‘बीसीसीआई से पहले महिला क्रिकेट का एक अलग बोर्ड था. उस की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी.

साल 2006 में बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को अपने अंडर में ले लिया था. इस के बाद से महिला क्रिकेटरों को पहले के मुकाबले काफी अच्छी सुविधाएं मिलने लगी हैं. इस से हमें अच्छेअच्छे स्टेडियमों में खेलने का मौका मिल रहा है."

बीसीसीआई और महिला क्रिकेटरों की यह जुगलबंदी क्या आज साल 2017 में रंग ला पाई है. अगर इंगलैंड में हुए हालिया महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप की बात छोड़ दें, तो ऐसा कहीं से नहीं लगा कि भारत में महिला क्रिकेट का कोई उज्ज्वल भविष्य है. हां, बीते सालों में भारत की कुछ खिलाड़ियों ने रिकौर्ड बनाए हैं, लेकिन उन्हें उस तरह की पब्लिसिटी नहीं मिली, जैसी पुरुष क्रिकेटरों को मिलती रही है.

2 महिला खिलाड़ियों की बात करते हैं. पहली हैं मिथाली राज, जिन्हें उन के खेल कारनामों की वजह से ‘लेडी सचिन तेंदुलकर’ कहा जाता है.

3 दिसंबर, 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जनमी मिथाली राज ने साल 1999 में 16 साल की उम्र में इंगलैंड में आयरलैंड के साथ अपना पहला इंटरनैशनल वनडे मैच खेला था. उन्होंने अब तक 186 वनडे मैच खेले हैं, जिन में उन्होंने 51.58 की औसत से 6190 रन बनाए हैं. वे वनडे मैचों में 6 हजार रन पूरे करने वाली दुनिया की पहली महिला बल्लेबाज हैं.

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