रिंकू ने कौंट्रैक्ट पर एक नई नौकरी हासिल की थी.  6 महीने में 10 लाख रुपए की आमदनी होनी थी. एक महीना बीततेबीतते रिंकू के बीवीबच्चों ने नई कार की फरमाइश कर डाली. 10 लाख रुपए आने के पहले ही रिंकू ने नौकरी के 2 महीने पूरे होतेहोते 8 लाख रुपए की नई कार ले ली. भले ही कार को फाइनैंस कराना पड़ा. आज की नई पीढ़ी खर्च करने में माहिर है. आयुष के पुलिस अफसर होने का उस के बच्चों पर यह असर पड़ा कि बेटी कृति ने सिंगापुर जाने का और बेटे ने आस्ट्रेलिया जाने का मन बना लिया. अब पुलिस अफसर होने के बावजूद आयुष के सामने हमेशा लाखों रुपए कमाने का टारगेट होता है. बच्चों को विदेश भेजना था, तो पुश्तैनी जमीन भी बेच दी.

क्या करें, आज की पीढ़ी के पास खर्च करने की लंबीचौड़ी लिस्ट जो होती है. बच्चा बाद में पैदा होता है, उस के कैरियर की प्लानिंग आज के मांबाप पहले ही कर लेते हैं, इसलिए वे उस की परवरिश अपनी जमापूंजी से भी ज्यादा की हैसियत से करते हैं.

पहले के जमाने में भले ही यह फार्मूला अपनाया जाता था कि आमदनी एक रुपया हो, तो अठन्नी ही खर्चना और अठन्नी बचा लेना. पर आज यह सोच जैसे खत्म हो चुकी है. यही वजह है कि बच्चों के खर्चों को दरकिनार करने की हिम्मत आज के मांबाप में नहीं है. हर कोई अपनी औकात से ज्यादा बच्चों पर खर्च कर रहा है.

आज से कुछ साल पहले तक एक केक ला कर और रिकौर्ड प्लेयर पर गाना बजा कर बच्चे का जन्मदिन मना लिया जाता था, पर आज की पीढ़ी के पास होटल बुक करने और पार्टी करने का चसका है. डांस फ्लोर पर थिरके बगैर पार्टी पूरी नहीं होती है. नए कपड़े लिए जाते हैं. मतलब, सबकुछ स्पैशल होता है.

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