क्या यौन संबंधों को किन्हीं भी शर्तों, कानून या सीमाओं में बांधा जाना एक उचित और मानवीय बात है? यह सवाल अब दुनिया भर में हर कहीं बड़े तार्किक तरीके से पूछा जाने लगा है, जिससे असहमत लोगों की संख्या सहमत लोगों के मुक़ाबले काफी कम हो चली है. लोग अब मानने लगे हैं कि सेक्स सभी का हक है और इसके तौर तरीकों पर नजरिया बदला जाना चाहिए. कई देशों ने तो समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे भी दी है.
इसी बदलते नजरिए का आभार व्यक्त करती एक अनूठी प्राईड परेड भोपाल के बोट क्लब पर आयोजित थी, जिसका नाम था एलजीबीटी यानि लेस्बियन,गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय, जो आमतौर पर परिवार और समाज से बहिष्कृत हैं और कानून भी इनके हक में नहीं हैं. इसके बाद भी अच्छी बात यह है कि ये लोग निराश या हताश नहीं हैं और तरह तरह से जगह जगह अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं. एलजीबीटी परेड ने एक मीडिया को छोड़ सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा और खुलकर अपने दिल की बात कही. परेड में देश विदेश के कोई 300 सदस्य इस समुदाय के पूरी शिद्दत से शामिल थे, जिनकी बातें और मांगे सुन मौजूद लोग इनसे सहमत भी थे और प्रभावित भी हुये. परेड में सांस्कृतिक आयोजन भी हुये और तरह तरह के ध्यान खींचने वोले दृश्य भी थे, लेकिन कहीं कोई फूहड़ता या कथित अश्लीलता नहीं थी.
यह बात भी स्वागत योग्य थी कि बोट क्लब से गुजरते कई आम और खास लोगों ने इन्हीं की तरह रंग में आते परेड में शामिल होते इन्हें अपना समर्थन दिया. परेड का मकसद बाताते हुए मित्र श्रंगार समिति के संस्थापक वेणु पिल्लई ने बताया, हम चाहते हैं कि एलजीबीटी कम्युनिटी से जुड़े लोग भी सामान्य जीवन जी सकें, हमारी मांग है कि इस समुदाय के लोगों को भी वही सम्मान और अधिकार मिलें जो आम लोगों को मिले हुये हैं. परेड में शामिल सदस्य हाथों में फ्लेक्स लिए नारे भी लगा रहे थे कि धारा 377 खत्म की जाए, जिससे इनकी निजता और सम्मान बने रहें.