लेखक-भानु प्रकाश राणा

इस के इस्तेमाल से खेत में अच्छी पैदावार मिलती है. लेकिन आज का किसान अब अधिक जागरूक हो गया है.

ऐसे ही एक जागरूक किसान हैं

राजूराम सीरवी राठौर, जो तहसील बिलाड़ा, जोधपुर (राजस्थान) में रहते हैं. इन्होंने गायभैंस के जेर से जैविक खाद तैयार की, जो अपनेआप में काफी उम्दा दर्जे की जैविक खाद है.

राजूराम का कहना है कि जब भी आप की गाय या भैंस बच्चा देने वाली हो तो उस समय खास निगरानी रखें. पशु ब्याने की शुरुआत में जब वाटर बैलून या जैव रस की थैली बाहर आने लगे तभी एक टोकरी राख छान कर तैयार रखें.

जैसे ही यह पानी की थैली जमीन पर गिरे, तुरंत टोकरी की राख इस पर डाल दें. इस से जानवर के शरीर से जो जैव रस का पानी वेस्ट न हो कर राख सोख ले. इस के बाद जब पशु बच्चा देने के बाद जेर डाले. इस जेर और जैव रस वाली राख को एक मिट्टी के घड़े में भर कर ढकते हुए यह घड़ा किसी छायादार पेड़ के नीचे 60-70 दिन के लिए दबा दें. 70 दिन बाद इसे निकालने पर इस में नम सीमेंट जैसा पाउडर मिलेगा. इस का एक चम्मच भर मात्र से 10 किलोग्राम बीज का उपचार कर सकते हैं.

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200 ग्राम पाउडर को 10 लिटर पानी में घोल कर छानने के बाद इस का फसल पर छिड़काव करें. इस से फसल की बढ़वार और उपज में चमत्कारिक फायदा मिलेगा. फलदार पेड़ों में 15-25 ग्राम मात्रा को 15 लिटर पानी में घोल कर या इसी मात्रा का पेड़ पर छिड़काव करने से इस के परिणाम आप की सोच से भी ज्यादा बढ़ कर होंगे. इस का इस्तेमाल गेहूं, सौंफ, धान, सरसों,?ज्वार और सब्जियों पर हम ने कर के देखा है. फलों में खजूर, अमरूद, जामुन, आम और चीकू पर भी हम ने कर के देखा है. इस का बहुत ही शानदार नतीजा देखने को मिला है.

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