हम सब ने बचपन में एक कहानी जरूर सुनी होगी, शेर और खरगोश की. एक शेर का जंगल में आतंक था. चूंकि वह उस जंगल का राजा था, तो बिना वजह दूसरे जानवरों को मार देता था. इस से उस की प्रजा बहुत दुखी थी. सब ने मिल कर शेर के सामने प्रस्ताव रखा कि रोजाना कोई एक जानवर उस के पास भेज दिया जाएगा, ताकि उस की भूख मिट जाए और जंगल में शांति भी  बनी रहे.

शेर ने वह प्रस्ताव मान लिया और उस दिन के बाद से जंगल में खूनखराबा बंद हो गया. पर क्या जो अब सही लग रहा था, वह सच भी था? नहीं. लिहाजा, यह बात छोटे से खरगोश के दिमाग में बैठ गई कि वह बिना प्रतिरोध किए शेर का निवाला नहीं बनेगा और हो सके तो शेर को ही निबटा कर जंगल को उस के खौफ से आजाद कराएगा.

ऐसा हुआ भी. उस खरगोश ने अपनी चालाकी से शेर को यह जता दिया कि उस जंगल में दूसरा शेर आ चुका है और एक कुएं में छिपा है.

अपने दंभ में भरा शेर खरगोश की चाल में फंस गया और अपनी परछाईं को दूसरा शेर समझ कर कुएं में कूद गया और डूब कर मर गया.

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हिंदी फिल्म ‘200 हल्ला हो’ देख कर मुझे अचानक यह शेर और खरगोश की कहानी याद आई. इस फिल्म का जालिम शेर कोई बल्ली चौधरी है, जो एक दलित बस्ती पर एकछत्र राज करता है. वह किसी का भी दिनदहाड़े मर्डर करने से नहीं चूकता है.

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