मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रह चुकी ललिता यादव द्वारा बुंदेलखंड में बारिश कराने के लिए मेढकमेढकी का ब्याह रचाने का मामला यह साबित करता है कि आज भी हम अंधविश्वास की बेडि़यों में कितने जकड़े हुए हैं.
धार्मिक आस्था के नाम पर आज भी सोशल मीडिया पर आने वाले बहुत सारे मैसेज और देवीदेवताओं की इमेज भेज कर लोगों से यह अपील की जाती है कि ये मैसेज 5 लोगों या समूह को भेजने पर मन की मुराद पूरी हो जाएगी.
तकरीबन हर टैलीविजन चैनल पर अपनी दुकान सजा कर बैठे बाबा और तांत्रिक अलगअलग तरह के यंत्र बेचने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने और समाज को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. कभी जादू के नाम पर तो कभी टोनेटोटकों के जरीए गाहेबगाहे लोग अंधविश्वास को नकार नहीं पा रहे हैं.
आज भी न ठीक होने वाली बीमारियों के इलाज के नाम पर तो कभी दिमागी परेशानी से जूझ रहे मरीजों को भूतप्रेत या बाधा वगैरह से छुटकारा दिलाने के नाम पर बेवकूफ बना कर लूटा जा रहा?है.
अंधविश्वास के सब से ज्यादा शिकार आज दलित और पिछड़े तबके के लोग हैं, जो ऊंची जाति के पंडेपुजारियों और तांत्रिकों के पाखंड में पड़ कर अपना समय और पैसा बरबाद कर रहे हैं.
दलित और पिछड़े तबके के लोगों को अगड़ों द्वारा आज भी गांवों व कसबों में हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है. उन की अनपढ़ता और गरीबी का फायदा उठाया जाता है. कथा, पुराण, प्रवचन द्वारा उन के दिमाग में अंधविश्वास से भरी कहानियां भर दी गई हैं.
सोलह सोमवार की कथा, एकादशी व्रत कथा, संतोषी माता की व्रत कथा, भूतप्रेत भगाएं, मंत्रों से सांपबिच्छू का जहर उतारने की जानकारी देने वाली सैकड़ों किताबें आज भी फुटपाथ पर धड़ल्ले से बिक रही हैं.
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