कोविड का काला साया हजारों प्रेमसंबंधों को लील जाएगा. हम मौतों की बात नहीं कर रहे. शहरों में पनप रहे लवअफेयर युवाओं के अब अपने शहरगांव लौटने की वजह से आधेअधूरे रह गए. जिन को मिल कर बर्थडे मनाने थे, मांबाप के घर में मातम मना रहे हैं. जो उसी शहर में हैं तो भी एकदूसरे से मिल नहीं पा रहे. आज आधुनिक दौर की मोहब्बत/दोस्ती का दस्तूर यह है कि जो दिखा नहीं, वह दूर हुआ. सिर्फ फेसबुक, वीडियो चैट पर देखा जाएगा तो सिर्फ चेहरा दिखेगा, हाथों का टच नहीं होगा, बांहों की गिरफ्त नहीं. जो प्रेमसंबंध अभी अधपके थे वे तो गारंटी से सूख जाएंगे.
वैसे भी, युवा मन चंचल होता है. अगर शहर की डैशिंग पर्सनैलिटी नहीं है तो पड़ोस की आधीअधूरी से ही काम चला लो. सैक्सुअल अट्रैक्शन का न तो जेब से सीधा संबंध है, न स्मार्टनैस से. अगर 2 जवां हों तो यह कहीं भी पैदा हो सकता है. पुराना वाला छूट गया, तो कोई बात नहीं, नया हाजिर है जो कम से कम कोविड तक तो गारंटी से चलेगा.
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अब कोविड के बाद कौन, कहां पहुंचेगा, यह कौन जानता है. शहर बदल सकते हैं, चेहरे लटक सकते हैं, समस्याएं बदल सकती हैं. कोविड की डैथ किसी से लव सौंग छीन सकती है. डैथ की वजह से आई नई जिम्मेदारियां रंग में भंग डाल सकती हैं.
आज जो युवा पनपते प्रेम का पौधा छोड़ कर आए हैं उन्हें यह सोच कर चलना चाहिए कि उस की मार को सहने की क्षमता उन में बहुत कम है. सो, ज्यादा सपने न देखें. यदि व्हाट्सऐप संदेश सूखने लगें, डीपी धूमिल होने लगे, आई लव यू की जगह बिजी दिखने लगे तो बेचैन न हों, यह कोविड की पैदा की गई नई सिचुएशन है. कोई बिट्रेयल हो, जरूरी नहीं.