गांवों में बदलाव आ रहा है. वे तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहे हैं. लग्जरी और महंगी गाड़ियां, आलीशान मकान गांवों की शोभा बढ़ा रहे हैं. हर घर में टैलीविजन पहुंच रहा है. महंगे मोबाइल फोन गांवों के लोगों के हाथों में देखे जा सकते हैं. चूल्हे की जगह गैस और गोबर गैस ले रही हैं. कुछ साल पहले तक शहरों के बड़े घरों में लगने वाली फाल सिलिंग अब गांव के लोग भी लगवाने लगे हैं. किसी ने सच ही तो कहा है कि गांवों की तरक्की से ही देश की तरक्की मुमकिन है और शहरी चमकदमक वक्त के साथ अब गांवों में भी देखने को मिल रही है. बैलगाड़ी व ऊंटगाड़ी को अब ट्रैक्टरट्रौलियों ने पीछे छोड़ दिया है.

पिछले 20 सालों से देश में आई संचार क्रांति के साथ ही मौडर्न खेतीबारी ने गंवई जिंदगी की तसवीर ही बदल कर रख दी है.

भासू गांव बना मिसाल

 राजस्थान के सब से पिछड़े जिलों में शुमार माने जाने वाले टोंक जिले का एक गांव है भासू. यह गांव दुनियाभर में मशहूर रही टोडा रायसिंह की बावडि़यों वाले कसबे टोडा रायसिंह से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर है. 10 साल पहले तक सब से पिछड़े माने जाने वाले इस गांव में आज भी शहरी इलाके जैसी तमाम सहूलियतें मौजूद हैं.

लग्जरी गाडि़यां और आलीशान घर गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं. हर घर की छत पर अलगअलग कंपनियों की डिश, हर हाथ में महंगे मोबाइल और खानपान के बदलते अंदाज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह गांव तरक्कीशुदा है.

तकरीबन 5 हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव में 30 साल पहले सरकारी लैवल पर बिजली सप्लाई के साथ घरघर में पानी की सप्लाई शुरू की गई थी. आज ऊंची तालीम से ले कर अस्पताल, बैंक, इंटरनैट समेत सभी सहूलियतें इस गांव में मुहैया हैं.

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