लेखक- ललित वर्मा

वैसे, बंजर जमीन में हैवी मैटल्स जैसे कैल्शियम, जस्ता, क्रोमियम आर्सेनिक, सीसा वगैरह पाए जाते हैं जो मानव शरीर में विभिन्न रोगों को पैदा करने की विशेष कूवत रखते हैं. डाक्टर शिखा सक्सेना ने ऐसी बंजर जमीन में जिस में आर्सेनिक व सीसा जैसे हैवी मैटल्स मौजूद थे, उस में गेंदा उगा कर पीएचडी की डिगरी हासिल की है. इस का दूसरा प्रमुख फायदा यह होता है कि जमीन में सुधार होता है,क्योंकि गेंदे की फसल बंजर जमीन के आर्सेनिक व सीसा को सोख लेती?है. गेंदा उगाने की वैज्ञानिक विधि सीख कर किसान अपनी बंजर जमीन में गेंदा की फसल उगा कर फायदा ले सकते हैं.

खेत की तैयारी : पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. उस के बाद 2 जूताई हैरो या कल्टीवेटर से आरपार करें. यदि खेत में भूमिगत कीटों की समस्या हो तो 50 किलोग्राम नीम की खली खेत में जरूर डालें. आखिरी जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं. खेत के चारों ओर मेंड़ जरूर बनाएं ताकि बारिश का पानी जमीन द्वारा सोख लिया जाए.

खाद और उर्वरक : पौधों से अधिक पुष्प उत्पादन के लिए मिट्टी जांच के मुताबिक ही खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि किसी कारणवश मिट्टी जांच न हो सके तो उस स्थिति में गोबर की खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए:

गोबर की खाद 10-15 टन, नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, फास्फोरस 80 किलोग्राम, पोटाश 80 किलोग्राम.

गोबर की खाद को पहली जुताई से पहले ही खेत में बिखेर देना चाहिए. साथ ही, फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा का मिश्रण बना कर आखिरी जुताई के समय जमीन में डालनी चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा को 2 भागों में विभाजित कर के डालना चाहिए. पहली खुराक रोपाई के 20 दिन बाद और दूसरी खुराक रोपाई के 40 दिन बाद देनी चाहिए.

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