कोरोना की दहशत को एक तरफ रखकर देखें तो तमाम लोगों ने अलग अलग तरीकों से लौकडाउन में जिन्दगी का भरपूर लुत्फ उठाया . जिन्हें खाने पीने का शौक था उन्होंने घर पर ही तरह तरह के पकवान बनाकर खाए और जिन्हें सेक्स के बाबत मूड न होने और वक्त की कमी की शिकायत रहती थी उन्होंने जमकर और मनचाहे तरीकों से सेक्स का मजा लिया , वे बीवियां जो अपने आप से या फिर नजदीकी सहेलियों से इस बात का रोना रहती थीं कि क्या करूं बहिन ये तो दिन भर के थके हारे आते हैं और खाना खाकर बिस्तर पर लुढ़ककर खर्राटे भरने लगते हैं और मैं प्यासी तड़पती रहती हूँ लाक डाउन उन के लिए सेक्स के मामले में वरदान साबित हुआ .

लेकिन यही वरदान भोपाल की रहने बाली सुमित्रा जैसी औरतों के लिए जल्द ही अभिशाप बनने लगा . सुमित्रा का पति चन्दन मंडीदीप की एक दवा फेक्ट्री में काम करता है और खुद सुमित्रा तीन घरों में खाना बनाने जाती है . दोनों की पगार से घर ठीक ठाक तरीके से चल जाता है . चन्दन सुबह 9 बजे घर से निकलता था तो रात के 8 बजे वापस आ पाता था लगभग यही वक्त सुमित्रा के वापस लौटने का होता था . 3  साल के बेटे मुन्नू की देखभाल सास करती थी . दोनों थके हारे होते थे इसलिए खा पीकर 10 बजे तक सो जाते थे .सेक्स के लिए उन्होंने इतवार का दिन तय कर रखा था लेकिन कई बार वे इसमें कुछ वजहों के चलते  चूक भी जाते थे .

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