पवन और राधिका की बात करते हैं. मातापिता के कहने पर शादी की. दोनों ने ही शादी से पहली शारीरिक सुख नहीं हासिल किया था. लिहाजा, दोनों के मन में यही डर समाया हुआ था कि उन के मिलन की रात शहद जैसी मीठी होगी या नहीं?

शादी की सभी रस्मों से छुटकारा पा कर वे जब अपनी सुहाग सेज पर आए तो दोनों में किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं दिखी. इसे पवन की समझदारी ही माना जाएगा कि उस ने खुद को मर्द साबित करने के लिए राधिका को सेक्स टॉय नहीं समझा बल्कि उसे पूरा समय दिया अपनी इतने दिनों कि थकान मिटाने के लिए.

हालांकि राधिका थोड़ा हैरान थी और उस ने पवन से पूछा भी उस की ख्वाहिश के बारे में, पर पवन ने हंस कर कहा, ''तुम कहां भागी जा रही हो...''

राधिका यह सुन कर इतना रिलेक्स हुई कि अपनी झिझक तोड़ते हुए पवन के गले लग गई. यह गले लगना ही काम बना गया. इस के बाद तो पूरी रात उन की सेज पर प्यार की बरसात होती रही. वैवाहिक जीवन की इस से बढ़िया शुरुआत और क्या हो सकती है.

लेकिन नलिन और मेघना के मामले में ऐसा नहीं हो पाया. नलिन पर तो सुहागरात मनाने का ऐसा जोश चढ़ा हुआ था कि उस ने यह भी नहीं देखा कि शादी कि भागदौड़ में मेघना को पिछले दो दिनों से बुखार था. मेघना ने यह बात नलिन को बताई भी थी और प्यार करने के लिए थोड़ समय मांगा था. लेकिन वह नहीं माना.सही मायने में उस रात को नलिन ने मेघना के साथ जबरदस्ती की थी. वह बोली तो कुछ नहीं पर उसे पता चल गया था कि नलिन के मन में उस के कहे की कोई कद्र नहीं है.

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