आजकल के बच्चे सेक्स की जानकारी मोबाइल से या फिर इंटरनैट से प्राप्त करते हैं, जो आधीअधूरी होती है. इस का नतीजा उन्हें आगे चल कर भुगतना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि लड़कियों को सेक्स शिक्षा स्कूल में टीचर और घर में मां से मिले ताकि सेक्स उन के लिए कुतूहल का विषय न रहे.

15साल की नेहा हाईस्कूल में पढ़ती थी. स्कूल उस के घर से 3 किलोमीटर दूर था. वह साइकिल से स्कूल जाती थी. उस के साथ दूसरी लड़कियां और लड़के भी जाते थे. स्कूल जाते समय नेहा की मुलाकात बगल के गांव में रहने वाले 22 साल के सुरेश से हुई. सुरेश की कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी. शादी में सुरेश को एक मोटरसाइकिल मिली थी. वह रोज लड़कियों के आनेजाने के समय पर बाजार जाता था. एक दिन नेहा की साइकिल पंचर हो गई. वह पैदल स्कूल जा रही थी. इसी बीच सुरेश उसे मिला और बोला, ‘‘पैदल क्यों जा रही हो. आओ, मैं तुम्हें स्कूल तक छोड़ दूं.’’

नेहा पहली बार मोटरसाइकिल पर बैठी थी. उसे बहुत अच्छा लगा. सुरेश के साथ बैठ कर वह अपने को किसी फिल्मी हीरोइन सी समझने लगी थी. इस के बाद यह सिलसिला चलने लगा. सुरेश नेहा के आनेजाने के समय राह में मिलने लगा. नेहा भी घर से साइकिल ले कर आती, फिर एक दुकान पर साइकिल रख कर सुरेश के साथ मोटरसाइकिल से आतीजाती. इस से उस के घर वालों को पता नहीं चलता था.

सुरेश ने एक दिन घुमाने के बहाने नेहा के साथ देहसंबंध बना लिए. नेहा और सुरेश के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे. इन में जहां सुरेश की पहल तो थी ही लेकिन नेहा की भी स्वीकृति थी. उसे भी उस समय बहुत अच्छा लगता था जब सुरेश उस के नाजुक अंगों को सहलाता था. इसे जवां उम्र का फेर कह सकते हैं. उस का भी मन होता था कि वह सुरेश की बांहों में सिमट जाए. ऐसे में नेहा ने कभी सुरेश को आगे बढ़ने से नहीं रोका. दोनों की उम्र जवां थी. एकदूसरे में खो गए और एकांत में मिलने लगे. इस के बाद वह सब हो गया जो शादी के बाद होना चाहिए था.

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