अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में राहुल गांधी ने एयरपोर्ट से लौटते वक्त हुमायूं रोड पर हुए एक एक्सीडेंट को देखकर तुरंत अपनी गाड़ी रुकवा ली. अपनी सुरक्षा की परवाह किये बगैर वह गाड़ी से उतर कर दुर्घटनाग्रस्त स्थल पर पहुंचे और घायल व्यक्ति को उठवा कर अपनी गाड़ी से उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया. घायल व्यक्ति एक पत्रकार था. राहुल गांधी के इस रूप को देखकर जहां वह पत्रकार उनका मुरीद हो गया, वहीं इस वीडियो के वायरल होने पर राहुल गांधी की सहृदयता की खूब तारीफ सोशल मीडिया पर हुई. ऐसी ही दूसरी घटना 3 अप्रैल को केरल के वायनाड में घटी, जब राहुल गांधी वहां से अपना चुनावी पर्चा भर कर निकले. रोड शो के दौरान बैरिकेडिंग टूटने से तीन पत्रकारों को काफी चोटें आयीं. इनमें से एक महिला पत्रकार भी थी. यहां भी राहुल का मददगार रूप सामने आया और वे रोड शो छोड़कर उन पत्रकारों को लेकर एंबुलेंस तक गये.

दरअसल राहुल गांधी के रोड शो के लिए वहां बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, आम जनता, मीडिया का जमावड़ा लगा था. राहुल के साथ उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी थीं. इसी दौरान एक बेरिकैड टूटने से कई पत्रकार ट्रक से गिर गये और घायल हो गये. अचानक हुए इस हादसे से वहां अफरा-तफरी मच गयी. राहुल फौरन उन घायलों के पास गये, उनका हालचाल लिया और पीछे चल रही एंबुलेंस तक उन्हें खुद ले जाकर छोड़ा, जिसमें फर्स्ट एड उन्हें तुरंत मिल गया.

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राहुल गांधी की इस सहृदयता से मीडियाकर्मी उनके मुरीद हो गये हैं. राहुल अपने रोड शो के दौरान जहां मीडियाकर्मियों से लगातार निकटता बनाये हुए हैं, वहीं वह उनसे बातचीत करने और उनके सवालों का जवाब देने में भी काफी उत्सुकता दिखा रहे हैं. पत्रकारों के बीच कानाफूसी चालू है कि एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जिन्होंने पांच साल पत्रकारों से ऐसी दूरी बनाये रखी जैसे कि वे अछूत हों. पांच साल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस तक नहीं की. किसी पत्रकार के सवाल का सामना नहीं किया. लोकसभा चुनाव की रैलियों में भी पत्रकार उनके पास नहीं फटक सकता, और एक अपने राहुल बाबा हैं.... जवाब नहीं राहुल बाबा का...

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