पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का राजनीतिक कद राष्ट्रीय स्तर का है. कांग्रेस से बाहर आने के बाद अब उन्होंने एक नई राजनीतिक पार्टी, किसानों और पंजाब के भविष्य को मजबूत बनाने की बात कह कर ऐलान किया है.

अमरिंदर सिंह की पार्टी के एलान के बाद पंजाब का राजनीतिक परिदृश्य कुछ ऐसा हो जाएगा मानो सत्ता ना तो अब कांग्रेस के हाथों में होगी और ना ही भाजपा के हाथों में. एक ऐसी त्रिशंकु सरकार बनाने में मददगार हो सकती है अमरिंदर सिंह की नई राजनीतिक पार्टी.

लगभग 80 वर्ष की उम्र में अमरिंदर सिंह का जज्बा जहां आकर्षित करता है वहीं सोचने को विवश करता है.

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अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 80 के दशक में अमरिंदर सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी आगे जब ऑपरेशन ब्लू स्टार घटित हुआ तो उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और लंबे समय बाद फिर राजीव गांधी के साथ उन्होंने राजनीति के हाईवे पर दौड़ना शुरू किया. परिणाम स्वरूप दो दफा पंजाब के मुख्यमंत्री रहे पंजाब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे और एक समय तो ऐसा भी आ गया जब अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस का पर्याय बन गए. अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आलाकमान को एक तरह से नजरअंदाज करते हुए उन्होंने लंबे समय तक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका निर्वाह की, शायद यही कारण था कि आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को शतरंज की बिसात पर आगे बढ़ा दिया. और अभी हाल ही में पिछले दिनों देश ने देखा कि किस तरह पंजाब की राजनीति ने एक नई करवट बदली है नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह सिद्धू ने राजनीतिक दांव खेले परिणाम स्वरूप अमरिंदर सिंह के सामने दो विकल्प रह गए या तो कांग्रेस आलाकमान के सामने आत्मसमर्पण करना  अथवा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा. और जैसा कि सभी ने देखा अमरिंदर सिंह ने एक झटके में आलाकमान को बिना जानकारी दिए ही राज्यपाल से मिलकर के 21 सितंबर 2021 को अपना इस्तीफा सौंप कर मानो कोप भवन में चले गए.

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